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Sunday, December 7, 2025
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व्हाइट हाउस में पहली बार सीरियाई राष्ट्रपति की मेजबानी करेंगे डोनाल्ड ट्रंप!

अहमद अल-शराअ से होगी ऐतिहासिक मुलाकात

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 10 नवंबर को सीरिया के राष्ट्रपति और पूर्व आतंकवादी अहमद अल-शराअ (Ahmad al-Sharaa) की मेजबानी करेंगे। यह पहली बार होगा जब किसी सीरियाई राष्ट्रपति को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया जाएगा। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने शनिवार को इसकी पुष्टि की, हालांकि इस मुलाकात की औपचारिक घोषणा अभी बाकी है।

सूत्रों के अनुसार, ट्रंप और अल-शराअ की बैठक का उद्देश्य अमेरिका-सीरिया के बीच कूटनीतिक संबंधों की नई शुरुआत करना है। दोनों नेताओं की यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब पश्चिम एशिया में इज़राइल-हमास युद्धविराम समझौते के बाद शांति प्रयास जारी हैं।

दोनों नेताओं की पहली मुलाकात मई में सऊदी अरब में हुई थी, जो पिछले 25 वर्षों में दोनों देशों के बीच किसी भी शीर्ष स्तर की पहली बातचीत थी। इस मुलाकात को सीरिया की अंतरराष्ट्रीय अलगाव से वापसी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया था। सीरिया दशकों तक असद परिवार के शासन में रहा, और उसके बाद अल-शराअ के सत्ता में आने से देश में नई राजनीतिक दिशा की संभावना बनी।

दिलचस्प बात यह है कि अहमद अल-शराअ पर कभी अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था। ‘अबू मोहम्मद अल-गोलानी’ नाम से प्रसिद्ध अल-शराअ ने इराक युद्ध के दौरान अल-कायदा से संबंध रखे थे और अमेरिकी बलों के खिलाफ लड़ाई में शामिल रहे थे। उन्हें कई सालों तक अमेरिकी सैनिकों ने हिरासत में भी रखा था।

अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, व्हाइट हाउस में होने वाली इस मुलाकात के दौरान अल-शराअ ISIS विरोधी अमेरिकी गठबंधन में शामिल होने के समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। यह मुलाकात वर्ष 2000 के बाद किसी सीरियाई नेता और अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली आमने-सामने बातचीत होगी। इससे पहले हाफ़िज़ अल-असद ने बिल क्लिंटन से जिनेवा में मुलाकात की थी।

ट्रंप इस बैठक के जरिए मध्य पूर्व में टिकाऊ शांति की दिशा में नए प्रयास शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में इज़राइल और हमास के बीच हुए युद्धविराम और बंधक समझौते के बाद स्थिति नाजुक बनी हुई है। गाजा में पिछले सप्ताह हुए इज़राइली हवाई हमलों में 104 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे शामिल थे। यह हमला 10 अक्टूबर से लागू युद्धविराम के बाद का सबसे बड़ा उल्लंघन माना जा रहा है।

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