भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने शनिवार (9 अगस्त) को 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को पंजीकृत सूची से बाहर कर दिया। इस कार्रवाई के बाद अब देश में सिर्फ 6 राष्ट्रीय दल और 67 क्षेत्रीय पार्टियां बची हैं, जबकि पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की संख्या घटकर 2,520 रह गई है। 6 राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] और नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) शामिल हैं। वहीं समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल जैसी 67 पार्टियां चुनाव आयोग की सूची में क्षेत्रीय दलों के रूप में दर्ज हैं।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि सूची से हटाए गए दल अब आयकर अधिनियम, 1961, चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29B व 29C के तहत मिलने वाले किसी भी लाभ के पात्र नहीं होंगे। हालांकि, इन दलों को अपील के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।
जून 2025 में ECI ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 345 गैर-मान्यता प्राप्त दलों का सत्यापन करने का निर्देश दिया था। इस प्रक्रिया में अधिकारियों ने इन दलों को शोकॉज नोटिस जारी किए, व्यक्तिगत सुनवाई कराई और रिकॉर्ड की जांच की। जांच में सामने आया कि 334 दल तय मानकों का पालन नहीं कर रहे थे। आयोग ने रिपोर्ट और सिफारिशों के आधार पर इन्हें सूची से हटा दिया।
चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और गैर-मान्यता प्राप्त दलों का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत होता है। नियमों के मुताबिक, यदि कोई पार्टी लगातार 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। साथ ही, पंजीकरण के समय पार्टी को नाम, पता, पदाधिकारियों की सूची जैसी जानकारियां देनी होती हैं और इनमें किसी भी बदलाव की सूचना आयोग को तुरंत देनी अनिवार्य है।
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