शरद पवार की पार्टी नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा छीन सकता है। इस संबंध में चुनाव आयोग समीक्षा करने वाला है। हालांकि, समीक्षा की जद में नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी ( एनसीपी ) ही जाने वाली नहीं बल्कि बसपा यानी बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई पर भी तलवार लटक रही है। अगर तीनों दलों का राष्ट्रीय दर्जा छिन जाता हां तो इन्हे बड़ा झटका माना जा सकता है।
किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा मिलने के लिए मापदंड बनाये गए जिसको राजनीति दलों को पूरा करना पड़ता है। किसी भी राजनीति दल को राष्ट्रीय दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कम से कम चार राज्यों में उसे छह फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करती है। वहीं तीन राज्यों में मिलाकर लोकसभा की 11 सीटों पर जीत हासिल करना जरुरी होता है। बताया जा रहा है कि एनसीपी को चुनाव आयोग के सामने इस संबंध में जवाब देने को कहा गया है। कहा जा रहा है कि पार्टी की दलीलें सुनने के बाद ही चुनाव आयोग यह निर्णय लेगा कि एनसीपी को राष्ट्रीय दल का दर्जा दिया जाए की नहीं।
गौरतलब है कि जिस पार्टी की राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है उसे कई फायदे भी मिलते हैं। इन पार्टियों का चुनाव चिन्ह हर राज्य में मान्य होता है। वहीं दिल्ली में पार्टी को नई दिल्ली में ऑफिस के लिए जगह मुहैया कराई जाती है। इसके अलावा भी कई और सुविधाएं मिलती हैं।
बता दें कि एनसीपी ,बसपा और भाकपा का राष्ट्रीय दर्जा 2014 में ही छीनने वाला था। लेकिन चुनाव आयोग ने उदारता दिखाते हुए दो और चुनाव हो जाने दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ही आयोग तीन पार्टियों जिसमें ममता बनर्जी की टीएमसी समीक्षा करने का प्लान बनाया था।मगर उस समय विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस योजना को कुछ समय के लिए टाल दिया था। अब एक बार फिर आयोग राजनीति पार्टियों की समीक्षा करने है। गौरतलब है कि 2016 में राजनीति दलों का दर्जा बहाल करने के लिए नियमों संशोधन किया गया था। जिसमें कहा गया कि राजनीतिक दलों की राष्ट्रीय दर्जा बहाल करने के लिए पांच साल के बजाय अब दस साल पर किया जाएगा।
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