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Sunday, November 24, 2024
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शरद पवार से चर्चा के बाद मैंने अजित पवार के साथ ली थी शपथ

देवेंद्र फडणवीस का खुलासा  

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साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना के मुख्यमंत्री पद को लेकर अडने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के साथ मिल कर जो सरकार बनाई थी, उसको लेकर मेरी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से चर्चा हुई थी। इस सरकार को लेकर उनकी सहमति थी। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को एक कार्यक्रम में यह खुलासा किया। बता दें कि वर्ष 2019 में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तड़के मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री के रूप में अजित दादा पवार को शपथ दिलाई थी, लेकिन यह सरकार मात्र 48 घंटे में ही गिर गई।

एक मराठी न्‍यूज चैनल के कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मेरे साथ दो बार विश्वासघात हुआ। पहला उद्धव ठाकरे ने किया। उनके साथ हमने मिलकर चुनाव लड़ा। चुनाव कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था कि मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस होंगे, तब वे ताली बजा रहे थे, लेकिन जब उन्होंने संख्या देखी और उन्हें लगा कि अपना मुख्यमंत्री हो सकता है, तब उन्होंने मेरा फोन तक नहीं उठाया। मुझसे चर्चा तक नहीं की। मुख्यमंत्री पद की कुर्सी उन्‍हें इतनी प्यारी थी कि वे राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के साथ चले गए। इसलिए उन्होंने एक तरह का विश्वासघात किया।

फडणवीस ने कहा कि दूसरा विश्वासघात जिन्‍होंने किया, उन्हें मैं दोष कम दूंगा। इसकी वजह यह है कि उन्होंने हमारे साथ चुनाव नहीं लड़ा था। जिस वक्त उद्धव ठाकरे राष्ट्रवादी और कांग्रेस के साथ बातचीत कर रहे थे, जब उनकी चर्चा आगे बढ़ रही थी, तभी हमें राष्ट्रवादी से ऑफर आया कि हम एक स्थिर सरकार चाहते हैं, अर्थात हम मिलकर सरकार बनाना चाहते हैं। राजनीति में एकाध व्यक्ति धोखा देता है तो उस वक्त आप उसका चेहरा देखकर बैठे नहीं रह सकते। ऐसे में हमने निश्चय किया कि चलो ठीक है। इसलिए हमने उनसे चर्चा की। उस वक्त शरद पवार के साथ ही बातचीत हुई। शरद पवार से चर्चा होने के बाद बातें तय हो गई, लेकिन तय होने के बाद वे कैसे बदले, यह आप सभी ने देखा है। इसलिए दूसरी बार एक तरह का विश्वासघात हुआ। पहला विश्वासघात बड़ा था, इसकी वजह यह थी कि यह हमारे ही व्यक्ति द्वारा किया गया था। दूसरा छोटा था।

फडणवीस ने कहा कि आप तड़के के शपथ ग्रहण को सुबह, तड़के या आधी रात का शपथ ग्रहण कहिए, इससे क्या फर्क पड़ता है? भूतकाल, भूतकाल है, लेकिन इसके बाद उन्होंने हमारे साथ जो व्यवहार किया था, ऐसे में हमें अवसर मिल गया। उनकी पार्टी में खलबली मच गई और उनके लोग पार्टी से बाहर आ गए। उन्हें यह पता नहीं था कि यह सरकार कैसे चल रही है।

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