चंबल के बीहड़ों में होगी खेती की शुरुआत, मोहन सरकार का बड़ा कदम!

हॉर्टिकल्चर कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने 1000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर।

चंबल के बीहड़ों में होगी खेती की शुरुआत, मोहन सरकार का बड़ा कदम!

Farming will begin in the ravines of Chambal, a big step by Mohan Sarkar!

मध्य प्रदेश का चंबल इलाका, जो कभी डकैतों के गढ़ के रूप में जाना जाता था, अब अपनी पहचान बदलने की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने बीहड़ों में खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का फैसला किया है। सरकार का लक्ष्य इन बंजर और अनुपयोगी पड़ी जमीनों को उपजाऊ कृषि क्षेत्र में तब्दील करना है।

बुधवार (12 मार्च) को मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सरकार ने तय किया है कि झांसी कृषि विश्वविद्यालय के तहत चंबल क्षेत्र में एक हॉर्टिकल्चर कॉलेज की स्थापना की जाएगी। यह कॉलेज न केवल किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराएगा बल्कि क्षेत्र के कृषि विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।

कैबिनेट बैठक के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि चंबल के बीहड़ों में सिंचाई व्यवस्था सुधारने के लिए ‘नदी जोड़ो योजना’ लागू की जा रही है। इसके जरिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कर किसानों को खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे क्षेत्र की कृषि उत्पादकता में जबरदस्त इजाफा होगा।

हॉर्टिकल्चर कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने 1000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की है। विजयवर्गीय ने कहा, “यह कॉलेज चंबल-ग्वालियर क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा। अब वक्त आ गया है कि हम फसल चक्र में बदलाव लाएं और अपने कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में उतारें। यह संस्थान किसानों को नई तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों से प्रशिक्षित करेगा, जिससे वे अधिक उत्पादक और लाभकारी खेती कर सकें।”

विजयवर्गीय ने राज्य की आर्थिक प्रगति पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि 2004 में मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय महज 11,000 रुपये थी, जो अब बढ़कर 1.52 लाख रुपये हो चुकी है। उन्होंने इसे सरकार की विकास नीतियों का परिणाम बताया।

सरकार की इस पहल से बीहड़ों का सदुपयोग होने के साथ ही क्षेत्रीय किसानों के लिए भी नए अवसर खुलेंगे। अगर यह योजना सफल रही, तो आने वाले वर्षों में चंबल का बीहड़ न केवल अपनी खूंखार छवि से बाहर निकलेगा, बल्कि एक हरित और समृद्ध क्षेत्र के रूप में जाना जाएगा।

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