नाबालिगों से यौन अपराध करने वाले जेफ़री एपस्टीन से जुड़ी जांच फाइलों की समीक्षा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम जानबूझकर हटा दिया गया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एफबीआई एजेंटों को मार्च 2025 में आदेश दिया गया था कि वे दस्तावेजों में ट्रंप के किसी भी उल्लेख को फ्लैग करें। इसके बाद उनके नाम को अनुचित निजता उल्लंघन बताते हुए सार्वजनिक रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
ब्लूमबर्ग ने बताया कि करीब 1,000 एफबीआई अधिकारियों को 1 लाख से अधिक पन्नों की समीक्षा के लिए विशेष रूप से नियुक्त किया गया था। इसका उद्देश्य एपस्टीन से जुड़े दस्तावेज़ों को सार्वजनिक रिलीज़ के लिए तैयार करना था। इसी प्रक्रिया में ट्रंप सहित कई हाई-प्रोफाइल हस्तियों के नामों को चिन्हित किया गया और फिर गोपनीयता कानूनों के तहत हटाया गया।
न्याय विभाग द्वारा संचालित इस पुन: समीक्षा प्रक्रिया में ट्रंप के खिलाफ किसी आपराधिक गतिविधि का प्रमाण नहीं मिला। फिर भी एफबीआई ने Freedom of Information Act (FOIA) के तहत अनुचित गोपनीयता उल्लंघन का हवाला देकर ट्रंप का नाम सार्वजनिक नहीं किया।
हालांकि, इसके पीछे की राजनीतिक रणनीति पर अब सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि ट्रंप समर्थक तबके ने लंबे समय से एपस्टीन से जुड़ी सभी फाइलें सार्वजनिक करने की मांग की थी। व्हाइट हाउस ने हाल ही में बचाव करते हुए कहा, “अब और कोई दस्तावेज़ जारी करना उचित नहीं।”
फरवरी में अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने एपस्टीन से संबंधित कुछ दस्तावेज़ पारदर्शिता अभियान के तहत दक्षिणपंथी प्रभावकों को बाँटे थे। उन्होंने तब कहा था कि क्लाइंट लिस्ट जैसे चर्चित दस्तावेज़ उनके कार्यालय में हैं और उनकी समीक्षा जारी है।
Wall Street Journal की रिपोर्ट के मुताबिक, मई में न्याय विभाग की एक ब्रीफिंग में बॉन्डी ने ट्रंप को बताया था कि उनका नाम एपस्टीन फाइलों में कई बार आया है, लेकिन यह किसी आपराधिक सबूत के रूप में नहीं था।
हालाकि व्हाइट हाउस ने WSJ की रिपोर्ट को “फेक न्यूज़” कहकर खारिज किया, लेकिन बाद में Reuters को एक अज्ञात अधिकारी ने स्वीकार किया कि ट्रंप का नाम दस्तावेजों में मौजूद था।
1990 और 2000 के शुरुआती वर्षों में ट्रंप और एपस्टीन के बीच घनिष्ठ संबंध रहे थे। ट्रंप ने 2002 में न्यूयॉर्क मैगज़ीन को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मैं जेफ को 15 साल से जानता हूँ। शानदार इंसान है।”
एपस्टीन की फ्लाइट लॉग बुक में ट्रंप का नाम है, जिसमें कम से कम एक बार उनके निजी विमान में सफर का उल्लेख मिलता है। एपस्टीन की पते-डायरी में भी ट्रंप के संपर्क विवरण शामिल थे।
हालांकि ट्रंप का दावा है कि वे 2019 में एपस्टीन की गिरफ्तारी से कई साल पहले ही उससे संबंध तोड़ चुके थे। एपस्टीन की मौत, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान हिरासत में हुई थी, को लेकर अब भी कई षड्यंत्र सिद्धांत चर्चा में हैं।
एफबीआई द्वारा ट्रंप के नाम को हटाना और दस्तावेजों को गोपनीयता के नाम पर सेंसर करना यह सवाल उठाता है क्या अमेरिका के ताक़तवर तबकों को बचाया जा रहा है?
अभी तक कोई क्लाइंट लिस्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। बॉन्डी और न्याय विभाग के अनुसार, “ऐसी कोई लिस्ट नहीं मिली।” लेकिन पारदर्शिता की मांग और ट्रंप समर्थक तबके का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
एफबीआई द्वारा दस्तावेजों से ट्रंप का नाम छुपाना और फिर अपराध नहीं है कह देना, अमेरिकी तंत्र की पाखंडपूर्ण पारदर्शिता पर एक और प्रश्नचिह्न लगाता है। जब आम नागरिकों को मामूली आरोपों पर भी सार्वजनिक जांच का सामना करना पड़ता है, तब सत्ता के गलियारों से जुड़े लोगों को प्राइवेसी के नाम पर छूट क्यों?



