Lok Sabha Speaker: लोकसभा अध्यक्ष पद पर घमासान शुरू; जेडीयू की तैयारी, टीडीपी ने बढ़ाई टेंशन!

Lok Sabha Speaker: लोकसभा अध्यक्ष पद पर घमासान शुरू; जेडीयू की तैयारी, टीडीपी ने बढ़ाई टेंशन!

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लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव 26 जून को होगा​|​ ऐसे में स्पीकर पद को लेकर एनडीए और इंडिया अलायंस पार्टियों के बीच जुबानी हमले जारी हैं​|​ ‘इंडिया’ अघाड़ी के नेता लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए एनडीए के घटक दल टीडीपी को समर्थन देने पर सहमत हो गए हैं। वहीं जेडीयू ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं​|​ जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”कांग्रेस जो भी कर रही है वह ध्यान भटकाने वाला है, गलत है​|​ क्योंकि परंपरा है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी स्पीकर पर फैसला लेती है​|​ भाजपा​ जो भी फैसला लेती है, हम इसका समर्थन करेंगे​|​

​​लोकसभा स्पीकर पर टीडीपी ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन को स्पीकर के लिए उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए। टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “स्पीकर चुनाव के संबंध में, एनडीए के सहयोगी एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि स्पीकर का उम्मीदवार कौन होगा। एक बार आम सहमति बनने पर हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और टीडीपी समेत सभी सहयोगी दल उस ​उम्मीदवार का समर्थन करेंगे।

​​भाजपा​ के लिए स्पीकर क्यों अहम?: हालांकि, टीडीपी ने स्पीकर की कुर्सी पर अपना दावा जताने के विकल्प से इनकार नहीं किया है। ऐसे में जेडीयू की भूमिका से ​भाजपा​ की स्थिति मजबूत हुई है​|​ भाजपा​ के सूत्रों की मानें तो पार्टी स्पीकर का पद अपने उम्मीदवार के लिए रखना चाहती है और उसने अपने सहयोगियों से भी इस पर चर्चा की है​|​ क्योंकि 1999 में ​भाजपा​ के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में थी और उस दौरान सरकार को विश्वास प्रस्ताव से गुजरना पड़ा था, जो वह संसद में नहीं कर सकी थी​| 

1999 में क्या हुआ?: 1999 में, जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार एक वोट से गिर गई​|​ क्योंकि बालयोगी ने ओडिशा के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री गिरिधर को राष्ट्रपति बनाने के लिए वोट किया था​|​ वह तीन महीने पहले ही मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन तब तक उन्होंने सांसदी से इस्तीफा नहीं दिया था​|​

​एनडीए की संख्या?: एनडीए सरकार के लिए टीडीपी और जेडीयू का समर्थन बेहद अहम है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में ​भाजपा​ को 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से कम है​|​ इसके अलावा टीडीपी को 16 और जेडीयू को 12 सीटें मिलीं. जिसके बाद एनडीए को पूर्ण बहुमत मिल गया है​|​

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