दिल्ली विधानसभा में विपक्षी नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा 20 नवंबर 2024 को उपराज्यपाल को लिखे पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के “शीशमहल” नाम से प्रसिद्ध 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास पर विलासिता की व्यवस्था की जांच का अनुरोध किया था। इस मांग पर कारवाई करते हुए उपराज्यपाल ने 6 दिसंबर को विजीलेंस विभाग को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था।
विपक्षी नेता की प्रेस विज्ञप्ति में कहे अनुसार विजीलेंस विभाग ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के प्रधान सचिव को जांच करने का निर्देश दिया। अपने पत्र में विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि 2022 में केजरीवाल दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने तो उनके आवास के लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा उपलब्ध कराई गई वस्तुओं और 2024 में उनके पद छोड़ने के बाद मिली वस्तुओं के बीच विसंगतियां थीं।
विजेंद्र गुप्ता ने दावा किया है कि पीडब्ल्यूडी ने 2022 में कुछ फर्नीचर और सुविधाएं मुहैया कराईं, लेकिन 2024 में केजरीवाल के बंगला खाली करने के बाद जब सूची की जांच की गई तो पता चला कि विभाग ने कई आलीशान सामान मुहैया नहीं कराए, जैसे कि हाई-एंड टॉयलेट सीट, महंगे वॉश बेसिन, रिक्लाइनिंग सोफा, महंगे पर्दे, प्रीमियम कालीन और बड़े टीवी और रेफ्रिजरेटर।
गुप्ता ने सवाल किया कि अगर पीडब्ल्यूडी ने नहीं तो ये सामान किसने मुहैया कराए, उन्होंने कहा कि इन्हें केजरीवाल के कथित भ्रष्टाचार से लाभ उठाने वाले लोगों द्वारा वित्तपोषित किया गया था, जिनमें शराब माफिया से जुड़े लोग भी शामिल हैं जो उनकी विवादास्पद आबकारी नीति से लाभ उठा रहे हैं।
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गुप्ता ने 2022 के पीडब्ल्यूडी दस्तावेजों का भी हवाला दिया, जिसमें दिखाया गया है कि उस वर्ष के बाद कोई नई वस्तु नहीं दी गई है। वहीं भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि 2022 और 2024 के बीच केजरीवाल ने अपनी नई शराब नीति से लाभान्वित लोगों द्वारा सुविधाओं का आनंद लिया। गुप्ता ने भाजपा द्वारा 12 लाख रुपए के शौचालय कमोड के दावों का जिक्र करते हुए कहा कि यह करोड़ों रुपए की बड़ी भ्रष्टाचार योजना का हिस्सा है। उन्होंने इस बात की गहन जांच की मांग की कि इतनी महंगी सुविधाएं किसने मुहैया कराईं और बदले में उन्हें क्या मिला।
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