टाइगर अभी ज़िंदा है?  

कांग्रेस नेता का दावा लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण ज़िंदा है

टाइगर अभी ज़िंदा है?  

कांग्रेस नेता के दावा के बाद हड़कंप मच गया है। कांग्रेस नेता ने दवा किया है कि लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण अभी ज़िंदा है। जबकि श्रीलंका सेना 2009 में कहा था लिट्टे को मारा जा चुका है।बताया जाता है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में लिट्टे भी शामिल था। श्रीलंका के साथ हुए शान्ति समझौते के बाद अपनी सेना भेजा था। जिसका बदला लेने के लिए लिट्टे प्लान बनाया था।

नेदुमारन ने दावा कर सबको चौंका: तमिल नेता पाझा नेदुमारन ने यह दावा कर सबको चौंका दिया कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल झलम प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन अभी ज़िंदा है। उन्होंने कहा वह जल्द ही सामने आएगा। इस बात को बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका सेना द्वारा 2009 में जो दावा किया गया उसे झुठलाते हुए प्रभाकरण जल्द  सामने आएगा। गौरतलब है कि 2009 में श्रीलंका की सेना ने दावा किया था कि लिट्टे प्रमुख को मारा जा चुका। इस बात की पुष्टि प्रभाकरण के डीएनए सैंपल के जरिये भी सेना साबित करने की कोशिश की थी।

जाफना क्षेत्र लिट्टे के चंगुल से मुक्त: उन्होंने कहा कि जल्द ही वे तमिल जाति की मुक्ति के लिए एक योजना शुरू करने जा रहे हैं।इसके लिए सभी तमिल समाज का समर्थन चाहिए। बता दें कि तमिल नेता पाझा नेदुमारन कांग्रेस के पूर्व नेता हैं। वे वर्ल्ड तमिल फेडरेशन के चीफ हैं। गौरतलब है कि प्रभाकरण को उसके समर्थक टाइगर भी कहते थे। लिट्टे श्रीलंका का आतंकी संगठन था। उसने श्रीलंका  के नेताओं को मौत के घात उतार दिया था। श्रीलंका सेना ने दावा किया था कि एक मुठभेड़ में लिट्टे चीफ के सिर में गोली मारी गई थी। जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद श्रीलंका का जाफना क्षेत्र लिट्टे के चंगुल से मुक्त हो गया था। उसके मौत के के बाद टाइगर के समर्थक अपने हथियार डाल दिए थे।

दो सहयोगियों से शव की शिनाख्त: इस दौरान श्रीलंका सेना ने प्रभाकरण के मौत की पुष्टि के लिए उसके दो सहयोगियों से शव की शिनाख्त कराई थी। बताते चलें कि राजीव गांधी की हत्या में भी लिट्टे का नाम सामने आया था। यह संगठन अलग राष्ट्र की मांग कर रहा था। 80 के दशक में लिट्टे तब और मजबूत हो गया था  जब उसे कई देशों का समर्थन मिलने लगा था। इसके बाद 1987 में श्रीलंका और भारत के बीच शांति हुआ था ,जिसमें भारत ने लिट्टे के खिलाफ अपनी सेना भेजा था। उसका बदला लेने के लिए लिट्टे ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की गई थी।

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