प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से ऐलान किया कि दिवाली तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में अगली पीढ़ी के सुधार लागू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ये बदलाव आम जनता के लिए “दिवाली का तोहफा” होंगे, जिससे रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं सस्ती होंगी और छोटे-मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को बड़ा लाभ मिलेगा।
वित्त मंत्रालय ने पीएम के ऐलान के तुरंत बाद जीएसटी सुधारों का खाका जारी किया। इसमें संकेत दिया गया है कि मौजूदा चार स्लैब — 5%, 12%, 18% और 24% — को घटाकर सिर्फ दो स्लैब किए जाएंगे: स्टैंडर्ड और मेरिट। चुनिंदा वस्तुओं पर विशेष दर (स्पेशल रेट) लागू होगी। मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी संरचना को सरल बनाने से न केवल कर व्यवस्था आसान होगी, बल्कि आम लोगों के जीवन-यापन की लागत भी घटेगी।
सरकार ने इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार कर इनपुट और आउटपुट कर दरों को एक समान करने की योजना बनाई है, ताकि इनपुट टैक्स क्रेडिट की कमी दूर हो सके। टैक्स नियमों और परिभाषाओं को सरल बनाया जाएगा ताकि कर विवाद कम हों और उद्योगों का भरोसा बढ़े। इसके अलावा, टैक्स स्लैब को लंबे समय तक स्थिर रखने का लक्ष्य है, जिससे कारोबार में आसानी हो।
मौजूदा चार स्लैब की जगह दो मुख्य स्लैब होंगी, जबकि स्पेशल रेट कुछ विशेष उत्पादों के लिए ही रहेगा। वित्त मंत्रालय का कहना है कि कंपेन्सेशन सेस घटने से वित्तीय घाटा कम हुआ है, जिससे टैक्स रेट को तार्किक बनाने में मदद मिलेगी।सरकार का जोर लघु उद्योगों और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने पर है। इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में बदलाव के बाद निर्यातकों को ऑटोमैटिक रिफंड मिलेगा। पहले से भरे रिटर्न की सुविधा से दखलंदाजी और गड़बड़ियां कम होंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐलान करते हुए कहा कि जीएसटी में सुधार किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार(15 अगस्त) को कहा कि दिवाली तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में अगली पीढ़ी के सुधार किए जाएंगे। इससे आम आदमी को ‘काफी’ कर राहत मिलेगी और छोटे एवं मध्यम उद्यमों को लाभ होगा। पीएम मोदी ने कहा, “जीएसटी लागू हुए आठ साल हो चुके हैं। अब सुधार का समय आ गया है। राज्यों के साथ चर्चा कर हम दिवाली तक ये बदलाव लागू करेंगे। इससे आम आदमी को कर राहत मिलेगी और एमएसएमई को मजबूती मिलेगी।”
जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था और आठ वर्षों में सरकार का मासिक कर संग्रह लगभग 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अगले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय होने की संभावना है।
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