हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अब चरम पर पहुंच गया है|भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जननायक जनता पार्टी जैसी सभी पार्टियों ने कमर कस ली है|हरियाणा में एक ही चरण में 5 अक्टूबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी|हरियाणा में किसान आंदोलन, उसके बाद पहलवानों का आंदोलन और हाल ही में विनेश फोगाट की अयोग्यता चर्चा में रही। इस पृष्ठभूमि में इन मुद्दों का असर चुनाव में देखने को मिल रहा है|
हरियाणा में भाजपा ने सत्ता बरकरार रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है|हालांकि भारतीय जनता पार्टी राज्य में सत्ता में है, लेकिन कुछ निर्वाचन क्षेत्र भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं। हरियाणा का खरखौदा ऐसा ही एक विधानसभा क्षेत्र है| खरखौदा विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी आज तक जीत हासिल नहीं कर पाई है। यह निर्वाचन क्षेत्र 2009 में निर्वाचन क्षेत्र पुनर्गठन की प्रक्रिया में बनाया गया था। हालांकि, तब से दिल्ली की सीमा पर स्थित सोनीपत जिले के इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा है।
क्या जातीय गणित पड़ेगा भाजपा की राह पर?: खरखौदा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है। भाजपा ने इस साल के चुनाव के लिए इस सीट से हरियाणा के अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास बोर्ड के पूर्व निदेशक पवन खरखौदा को उम्मीदवार बनाया है| पवन खरखौदा के रूप में भाजपा को इस सीट पर अपना प्रदर्शन बेहतर करने की उम्मीद है|
खरखौदा ने इससे पहले 2014 के चुनाव में इसी सीट से निर्दलीय किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा| 2019 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर चुनावी आवेदन भरा|इस बार उन्होंने जननायक जनता पार्टी यानी ‘जेजेपी’ के टिकट पर चुनाव लड़ा|उन्होंने अपने देश और तिरंगे की शान बढ़ाई है|यदि कोई व्यक्ति किसी समस्या का कारण बनता है, तो इसका व्यापक प्रभाव से कोई लेना-देना नहीं है। अक्सर ये विचारधाराओं की लड़ाई बन जाती है| कांग्रेस द्वारा इस आंदोलन का राजनीतिकरण किया गया।
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