हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिती चरमराई, 3 तारीख को पर भी सैलरी नहीं!

हालात इतने ख़राब हो चुके है की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने 2 महीने तक वेतन लेने से मना कर दिया है।

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिती चरमराई, 3 तारीख को पर भी सैलरी नहीं!

Himachal Pradesh's economic situation has deteriorated, no salary even on 3rd!

कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिती चरमराई है। हालात इतने ख़राब हो चुके है की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने 2 महीने तक वेतन लेने से मना कर दिया है। पिछले पांच दशकों में यह पहली बार हुआ है की हिमाचल प्रदेश सरकार पहली तारीख को वेतन नहीं दे पाई है। वेतन के लिए सरकारी कर्मचारियों को 5 सितंबर तक इंतजार करना होगा।

हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र से रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये आने हैं। 5 सितंबर तक राज्य सरकार को यह धनराशि आएगी, जिसके बाद राज्य के कर्मचारियों को वेतन मिल सकेगा। जो हालात वेतन के है वहीं हालात पेंशन के भी है। हिमाचल प्रदेश में सैलरी और पेंशन ना मिल पाने की स्थिति राज्य के गठन के बाद पहली बार आई है। 1971 में बने हिमाचल प्रदेश में लगभग पाँच दशक में कभी ऐसी स्थिति पहले नहीं आई है। जब कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह और पेंशन के लिए इंतजार करना पड़ा हो।

आपको बता दें, हिमाचल प्रदेश को प्रतिमाह 1 हजार 200 करोड़ वेतन के लिए और 800 करोड़ पेंशन के लिए खर्च करने पड़ते हैं। कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है।  राज्य सरकार की ओर से वेतन 5 तारीख के बाद ही दिया जाएगा लेकिन, कर्मचारी नेता संजीव शर्मा का दावा है कि राज्य सरकार की ओर से ट्रेजरी को यह कहा गया है कि वेतन कर्मचारियों को अभी वेतन न दिया जाए, जबकी इस प्रकार का कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया है।

क्यों चरमराई हिमाचल की स्थिती?: 

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वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 हजार 200 करोड़ रुपये है, जबकी इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन किया गया है। इसी से हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है। दिसंबर के बाद अगली तिमाही के लिए केंद्र की ओर से नयी लिमिट जारी की जाएगी, तब तक प्रदेश सरकार को अगले 2 महीने तक वेतन और पेंशन के लिए इसी प्रकार की कठनाई आ सकती है।

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