होली जुलूस: झारखंड सरकार पर शिवसेना नेता संजय निरुपम का हमला!

शिवसेना​ नेता ने हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली झारखंड सरकार और पुलिस से होली के जुलूस को बाधित करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

होली जुलूस: झारखंड सरकार पर शिवसेना नेता संजय निरुपम का हमला!

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होली के दिन झारखंड में हुई झड़पों पर शिवसेना नेता संजय निरुपम ने शनिवार को निशाना साधा। उन्होंने झारखंड सरकार से होली के जुलूस को बाधित करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा होली के दिन जानबूझकर तनाव फैलाने की कोशिश की निंदा की।
उन्होंने कहा, “अलीगढ़, दरभंगा समेत कई स्थानों पर विरोध हो रहा था और जुमे की नमाज को लेकर भी विवाद खड़ा किया गया। लेकिन देशभर में इसे अधिक तूल नहीं मिला। वहीं, कुछ असामाजिक तत्वों ने झारखंड में माहौल खराब करने की कोशिश की।”

निरुपम ने हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली झारखंड सरकार और पुलिस से होली के जुलूस को बाधित करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, “भारत की साझा संस्कृति में सभी मिलकर रहते हैं, लेकिन इसका बोझ केवल हिंदुओं को उठाना पड़े, यह स्वीकार्य नहीं है।”

एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार द्वारा बजट से रुपए का सिंबल हटाए जाने को लेकर निरुपम ने कहा, “तमिलनाडु में डीएमके सरकार, जिसे कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है, हिंदी विरोध की राजनीति को तेज कर रही है।

हाल ही में उन्होंने रुपए के प्रतीक में तमिल अक्षर जोड़ने की मांग उठाई, जिसे राष्ट्रविरोधी मानसिकता कहा जा सकता है। तमिलनाडु की राजनीति में हिंदी का विरोध नया नहीं है; द्रविड़ दल लंबे समय से इसे वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
लेकिन आज देश में हिंदी को एक सम्मानित संपर्क भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है। पंडित नेहरू के त्रिभाषा सूत्र में हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं को समान महत्व दिया गया था, जिसका हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।”

एआईएमआईएम प्रमुख की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए निरुपम ने कहा, “महापुरुषों का जीवन व्यापक होता है, और समय-परिस्थिति के अनुसार उनके निर्णय बदलते हैं। इतिहास व्यक्ति के संपूर्ण योगदान और संघर्ष का मूल्यांकन करता है, न कि किसी एक कथन से।

उन्होंने कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज ने धर्म की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी, और ऐसे बलिदानी वीर पर गलत बातें कहना अनुचित है। पुराने लेखों के आधार पर उनका गलत चित्र प्रस्तुत करना इतिहास के साथ अन्याय होगा। संपूर्ण राष्ट्र उनके बलिदान और वीरता को जानता और सम्मान देता है।”
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