जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी राजनीति को बड़ा झटका देते हुए तीन प्रमुख संगठनों ने मंगलवार (8 अप्रैल)को ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटनाक्रम को भारत के संविधान में बढ़ते जनविश्वास का संकेत बताया है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एकजुट और शक्तिशाली भारत’ के विज़न को और अधिक सशक्त करता है।
गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी, जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग और कश्मीर फ्रीडम फ्रंट जैसे तीन संगठनों ने खुद को हुर्रियत से अलग कर लिया है। शाह ने इसे कश्मीर घाटी के लोगों में भारत के संविधान के प्रति गहराते भरोसे का प्रतीक बताया।
उन्होंने आगे लिखा, “मोदी जी का एकजुट और शक्तिशाली भारत का सपना आज और भी मजबूत हो गया है, क्योंकि अब तक 11 ऐसे संगठनों ने अलगाववाद को त्याग दिया है और संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।”
इससे पहले भी हुर्रियत से जुड़े जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट जैसे संगठन अलगाववादी सोच से अलग होने की घोषणा कर चुके हैं। यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं।
अपने दौरे के दौरान गृह मंत्री ने कोकरनाग में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए डीएसपी हुमायूं मुजम्मिल भट के परिवार से भी मुलाकात की। उन्होंने उस मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “डीएसपी हुमायूं मुजम्मिल भट ने 2023 में कोकरनाग में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया और देशभक्ति की अमर मिसाल कायम की। श्रीनगर में उनके परिजनों से मुलाकात कर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की।”
हुर्रियत से संगठनों के एक-एक करके अलग होने की यह प्रक्रिया बताती है कि जम्मू-कश्मीर में बदलाव की एक नई लहर चल रही है, जहां कट्टरपंथ की जगह लोकतंत्र, संविधान और मुख्यधारा की ओर झुकाव बढ़ता दिख रहा है।
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