इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में वार्षिक सेमिनार को सम्बोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ.एस. जयशंकर ने भारत और यूरोपियन यूनियन के संबंधों पर दृष्टि डाली| संबोधन की शुरुआत में सभी आगंतुकों का सदर आभार व्यक्त किया और इस सेमिनार को लेकर अपनी टिप्पणी व्यक्त की|
उन्होंने कहा कि आज के समय में जहा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की आवश्यकता मूलरूप से बढ़ रही है ऐसी परिस्थिति में केवल कुछ देश या कुछ व्यक्ति विशेष दुनिया के हालातो के चलते निर्णय नहीं ले सकते हैं| आज का समय वो नहीं है, जहां कुछ विशेष राष्ट्र निर्णय ले और बाकि सभी देश उस निर्णय को माने।
आज के समय में दुनिया भर में राष्ट्र हित को लेकर काफी पहल चालू है और ऐसे में सभी देशो को पूरा अधिकार है कि वे अपने हक़ की बात विश्व पटल पर रख सके| काफी समय से यह प्रावधान रहा है कि भारत के लिए नियम और कायदा लगा होंगे वही हमारे पडोसी देशो के लिए नियम अलग रहेंगे|
भारत से पश्चिम और भारत से पूर्व देशों के लिए भी नियम का जो भेद भाव है वो साक्ष्य रूप से देखने को मिलता है| बात चाहे आतंकवाद, उग्रवाद, महंगाई, टैक्स, रोज़गार, सामाजिक और अंतराष्ट्रीय सम्भावना की हो तो सभी देशो के लिए नियम बदल जाते हैं|
मध्य पूर्व और रूस यूक्रेन के युद्ध पर दृष्टि डालते हुए एस.जयशंकर ने कहा कि आज के समय में जहां दुनिया भर के हालात नाज़ुक हैं ऐसे में भारत और यूरोपियन यूनियन के सम्बन्ध को मज़बूत करना दोनों देशो की प्राथमिकता है| हमारे आज के संबंधों से आने वाली हर परिस्थिति का हम अच्छे से सामना कर पाएंगे और दुनिया में शांति एवं स्थिरता को स्थापित कर पाएंगे|
दोनों देशों के बीच की नीतियां और उनके द्विपक्षीय सम्बन्ध आर्थिक सामजस्य और स्थिरता का प्रतीक हैं| दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग से शांतिकाल की स्थापना संभव मानी जा सकती है|
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