उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं| इनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश में बड़े पैमाने पर खनन घोटाला हुआ था, जिसकी जांच इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई को सौंप दी गयी थी| राज्य में हुए अवैध खनन मामले में सीबीआई तत्कालीन प्रभावित डीएम पर छापामारी कर आपत्तिजनक दस्तावेज भी जप्त किये थे| प्रदेश का चर्चित खनन घोटाला को लेकर एक फिर सीबीआई ने बतौर गवाह के रूप में अखिलेश यादव को दिल्ली बुलाया है|
बता दें की गत दिनों पहले राज्यसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद आगामी लोकसभा में भी मुश्किलें कम होती दिखाई नहीं दे रही हैं| इसी बीच सीबीआई ने प्रदेश में हुए अवैध खनन घोटाले मामले में गवाह के रूप में पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया| 160 के तहत सीबीआई ने उन्हें दिल्ली सीबीआई दफ्तर में उपस्थित होने के लिए दिया है| यदि इस मामले में अखिलेश यादव सीबीआई पूछताछ सहयोग नहीं करते हैं तो उन्हें जानकारी छिपाने और सहयोग नहीं करने के मामले में सीबीआई आरोपी भी बना सकती हैं|
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 12-13 में बतौर मुख्यमंत्री रहे|इस दौरान उनके पास खनन का स्वतंत्र भार भी था| अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल में बड़े पैमाने पर अवैध खनन को लेकर ई-नीलामी की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जांच का आदेश दिया था। आरोप है कि 2012 से 2016 के दौरान अवैध खनन का पट्टा सरकारी अधिकारियों ने दिया था। यह भी तब जारी किया गया, जब नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल की ओर से रोक लगाई गई थी।
बता दें कि 2012 से 2016 के दौरान राज्य के फतेहपुर, देवरिया, शामली, कौशांबी, सहारनपुर, सिद्धार्थनगर और हमीरपुर जिलों में अवैध खनन के मामले सामने आए थे। उस दौरान गायत्री प्रजापति और उनकी बर्खास्तगी के बाद खुद अखिलेश यादव के पास खनन मंत्रालय का जिम्मा था। उस दौरान खनन पट्टे जारी करने में ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का कथित तौर पर उल्लंघन किया गया था। सीबीआई ने इस मामले में जनवरी 2019 में हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी चंद्रकला समेत 11 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी।
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