महिलाओं की भूमिका और सरकारी योजनाएं: कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव, अलका उपाध्याय ने कहा, “डेयरी सहकारी समितियों (DCS) में महिलाओं की अहम भूमिका है।” उन्होंने बताया कि महिला किसान डेयरी किसान उत्पादक संगठनों (FPO), सामुदायिक किसान समूहों (CLF) और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से खुद को संगठित कर रही हैं, खासकर उन इलाकों में जहां डेयरी सहकारी समितियां (DCS) उपलब्ध नहीं हैं।
उन्होंने महिलाओं को केंद्र सरकार की पशुपालन योजनाओं का लाभ उठाने की सलाह दी और कहा कि बकरी और भेड़ पालन योजनाएं महिलाओं के लिए कम लागत में अधिक लाभकारी साबित हो सकती हैं।
जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम पर जोर: कोविड महामारी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम बेहद जरूरी है, क्योंकि ये न केवल पशुओं से इंसानों में फैल सकती हैं बल्कि पशुओं की उत्पादकता को भी प्रभावित कर सकती हैं।
कार्यक्रम में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की महिलाओं ने भाग लिया। इस पहल के तहत ग्राम स्तरीय उद्यमियों (Village Level Entrepreneurs) द्वारा करीब 2,050 जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया।
स्वच्छ पशुपालन प्रथाओं की आवश्यकता: डीएएचडी की अतिरिक्त सचिव वर्षा जोशी ने कहा, “महिला किसानों को पशुपालन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच के संबंधों को समझने की जरूरत है।” उन्होंने स्वच्छ, टिकाऊ (sustainable) पशुपालन पद्धतियों को अपनाने, स्वच्छ दूध उत्पादन और जैव सुरक्षा उपायों के महत्व पर भी चर्चा की, जिससे पशुओं से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को रोका जा सके।
सरकार की नई योजना: हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना (LHDCP) के संशोधन को मंजूरी दी है, जिसके लिए 3,880 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
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