क्या उत्तर प्रदेश में ‘एनकाउंटर से पहले जाति देखी जाती है’?

लोकसभा चुनावों में भी सपा के 'मुस्लिम', 'यादव' पोलिस्टिक्स की नीति ने अच्छा प्रदर्शन दिखाया है।

क्या उत्तर प्रदेश में ‘एनकाउंटर से पहले जाति देखी जाती है’?

Is caste considered before encounter in Uttar Pradesh?

उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर में एनकाउंटर के दौरान कुख्यात डकैत मंगेश यादव की पुलिस के साथ मुठभेड़ के बीच गोली लगी, जिसमें उसकी मौत हुई। इस घटना के बाद उत्तरप्रदेश में ‘जातिवादी राजनीती’ का माहौल बना हुआ है। इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सुप्रिमो अखिलेश यादव ने अपने एक्स’ अकाउंट से ट्वीट करते हुए कुख्यात मंगेश यादव के एनकाउंटर को साजिश बताया था।

साथ ही अखिलेश यादव ने मंगेश के घर समाजवादी पार्टी के नेताओं का डेलिगेशन को सांत्वना देने के लिइ भेज दिया था, यूपी विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव इसका प्रतिनिधित्व कर रहें थे, मानों किसी पद्म वुभुषित गणमान्य व्यक्तिमत्व का निधन हुआ हो। जिसके बाद यूपी में जाति देख कर एनकाउंटर किए जाने की बात होने लगी है। इसी सियासती तनाव के बीच आज तक ने एक रिपोर्ट पब्लिश की है जिसके तहत उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा एनकाउंटर किए हुए 183 लोगों को जाति के आधार पर बांटा गया है।

इस लिस्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में पुलिस के एनकाउंटर में मरे 183 माफिया और गुंडों की जाती खंगाली गई। इस लिस्ट के अनुसार 183 में 18 ब्राम्हण थे ,तो 16 क्षत्रिय भी थे, जो की अन्य समुदायों की संख्या की तुलना में अधिक है। इस रिपोर्ट से विरोधियों का दावा जो कहता है ‘योगी सरकार में सर्वण अपराधियों का एनकाउंटर नहीं किया जाता है’ यह झूठा होता दिख रहा है।

इन्हीं आंकड़ों के अनुसार, यूपी में अब तक वर्ष 2017 से 2023 में मारे गए माफियाओं में 15 जाट-गुर्जर समुदाय से, और 14 यादव समुदाय से है। वहीं OBC, दलित और दलितों की संख्या अनुक्रम से 7, 13, और 3 पायी गई है। आज तक रिपोर्ट की माने तो बचे 34 माफिया अन्य समुदायों से आते है।

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लोकसभा 2024 के चुनावो में सपा को उत्तर प्रदेश में अच्छे नतीजे मिलें है। लोकसभा चुनावों में भी सपा के ‘मुस्लिम’, ‘यादव’ पोलिस्टिक्स की नीति ने अच्छा प्रदर्शन दिखाया है। इन्हीं नतीजों के कारण समाजवादी पार्टी का मनोबल भी बढ़ा है। जाती की प्रभावी राजनिती का भविष्य में स्कॉप देखकर, अपनीं विधानसभा सीटों की पतंग को हवा देने के लिए समाजवादी पार्टी द्वारा जातिय प्रकरणों को खींचना और हवा देना लाज्मी है।

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