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Thursday, April 24, 2025
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जम्मू-कश्मीर: राजौरी दिवस पर एलजी सिन्हा ने दी शहीदों को श्रद्धाजंलि!

​यह कार्यक्रम भारतीय सेना के ऐस ऑफ स्पेड्स डिवीजन द्वारा आयोजित किया गया था और इसमें शीर्ष सैन्य अधिकारियों, नागरिक गणमान्य व्यक्तियों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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एएलजी (एडवांस लैंडिंग ग्राउंड) राजौरी में देशभक्ति के जोश और भव्य समारोह के साथ राजौरी दिवस मनाया गया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी, लगातार खतरों के प्रति आगाह किया, साथ ही शांति और विकास के लिए सतर्कता बरतने का आग्रह किया।

देशभक्ति, साहस और सांस्कृतिक एकता के शानदार प्रदर्शन के साथ, 1948 में पाकिस्तानी सेना और विद्रोही तत्वों के अवैध कब्जे से सीमावर्ती शहर की ऐतिहासिक मुक्ति को चिह्नित करने के लिए एएलजी राजौरी में राजौरी दिवस मनाया गया। यह कार्यक्रम भारतीय सेना के ऐस ऑफ स्पेड्स डिवीजन द्वारा आयोजित किया गया था और इसमें शीर्ष सैन्य अधिकारियों, नागरिक गणमान्य व्यक्तियों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजौरी को दुश्मन ताकतों से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर सैनिकों और नागरिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस कार्यक्रम में सेना कमांडर उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार, जीओसी व्हाइट नाइट कोर लेफ्टिनेंट जनरल पीके मिश्रा, सेना, पुलिस, नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और जिले के विधायक भी शामिल हुए।

सभा को संबोधित करते हुए एलजी मनोज सिन्हा ने राजौरी की मुक्ति को भारत के स्वतंत्रता के बाद के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी सेना द्वारा राजौरी पर छह महीने तक अवैध कब्जा हमारे देश के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज किया गया है। हालांकि, हमारे सशस्त्र बलों और राजौरी के लोगों के साहस और बलिदान ने इसे प्रेरणा और लचीलेपन की कहानी में बदल दिया।”

उपराज्यपाल ने चेतावनी दी कि सीमा पार से खतरा अभी भी कायम है। उन्होंने जोर देकर कहा, “दुश्मन आतंकवादियों को भेजकर शांति भंग करने की कोशिश जारी रखता है। ऐसी स्थिति में सुरक्षाबलों और आम नागरिकों दोनों के लिए सतर्क रहना जरूरी है। शांति विकास की आधारशिला है और इसकी रक्षा के लिए हम सभी को हाथ से हाथ मिलाकर आगे बढ़ना चाहिए।”

कार्यक्रम में शामिल छात्रा ने बताया, “जब देश को आजादी मिली थी तो पाकिस्तान आर्मी ने राजौरी में कब्जा कर लिया था। उनसे आजाद होने के लिए यहां के लोगों ने बहुत कुर्बानियां दी। 13 अप्रैल, 1948 में राजौरी आजाद हुआ था और उसी समय से राजौरी दिवस मनाया जाता है।”

कार्यक्रम आयोजनकर्ता के एक सदस्य ने बताया, “आज के कार्यक्रम में उप राज्यपाल आए। उन्होंने शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी। यह बहुत ही खुशी का दिन है, हम चाहते हैं कि यह कार्यक्रम आगे बढ़ता रहे।”

बता दें कि राजौरी दिवस उन लोगों की बहादुरी और बलिदान को याद करता है जिन्होंने राजौरी को विदेशी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी। यह राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक है, जो सभी को शांति की रक्षा करने और राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों का सम्मान करने के महत्व की याद दिलाता है।

 
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