उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने शाम तक पुलिस बल की तैनाती नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा भड़क गई। उन्होंने कहा कि घटना के बाद पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया, हिंसा के शिकार हुए लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। जिन लोगों ने उत्पात मचाया, उन्हें गिरफ्तार किया गया है, लेकिन जिन लोगों पर हमला हुआ, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है। यह तुष्टिकरण की नीति का परिणाम है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है और दावा करती है कि जो भी गलत काम करेगा उसे कड़ी सजा मिलेगी। सरकार कहती है कि गड़बड़ी करने वाले को 10 फीट नीचे गाड़ देंगे। लेकिन, खुलेआम हो रही गड़बड़ी को नजरअंदाज कर रही है। लोग खुलेआम अपराध कर रहे हैं और सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार जानती थी कि शुक्रवार को होली है, फिर भी वह संवेदनशील इलाकों में पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने में विफल रही। जब लोग रंग, संगीत और नृत्य के साथ होली मनाते हैं और फिर उन पर हमला होता है। दुकानों में आग लगाई जाती है, तो पुलिस चुप रहती है। अपनी विफलता को दूर करने के बजाय सरकार इसे छुपाने में लगी है।
मरांडी ने आगे कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से होली मनाने वालों पर हमला करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह सरकार की विफलता को उजागर करता है। उन्होंने इस घटना को राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाने वाली घटना करार दिया और सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की।
बता दें कि झारखंड के गिरिडीह जिले के घोडथम्भा क्षेत्र में शुक्रवार शाम होली के जुलूस के दौरान दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हो गई। घोडथम्भा चौक पर पहुंचने के बाद मस्जिद वाली गली से जुलूस निकलने को लेकर कहासुनी हो गई, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच पथराव शुरू हो गया था। इससे स्थिति और बिगड़ गई थी।
एएफसी एशिया कप 2027: भारतीय टीम को ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत है जो गोल कर सकें: मनोलो मार्क्वेज !