बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने मोरक्को में देश के पूर्व राजदूत मोहम्मद हारून अल रशीद और उनके परिवार के पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं। यह कार्रवाई तब की गई जब रशीद ने फेसबुक पोस्ट के जरिए मोहम्मद यूनुस के शासन की कड़ी आलोचना की और देश में बढ़ती अराजकता पर सवाल उठाए।
दरअसल मोहम्मद हारून अल रशीद ने अक्टूबर 2023 में बांग्लादेश के राजदूत के रूप में मोरक्को में कार्यभार संभाला था। हालांकि, दिसंबर 2024 में यूनुस सरकार ने उन्हें वापस बुलाने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने तत्काल आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद, 27 फरवरी 2025 को उन्होंने अपने पद से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया और फिर कनाडा चले गए।
यूनुस सरकार ने आरोप लगाया है कि रशीद ने “अनुशासन तोड़ा और बांग्लादेश की वास्तविक स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया”। इसके साथ ही सरकार ने उन पर “छिपे एजेंडे या किसी गुप्त मंशा” के तहत काम करने का आरोप भी लगाया गया।
दरम्यान 14 मार्च को मोहम्मद हारून अल रशीद ने एक फेसबुक पोस्ट लिखी जिसका शीर्षक था—”बांग्लादेश के लिए एक अपील—और मेरे लिए भी: मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश का पतन—दुनिया की चुप्पी दर्दनाक है”।
इस पोस्ट में उन्होंने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की कड़ी आलोचना की और लिखा कि “बांग्लादेश अराजकता में डूब चुका है। लाखों लोगों के पास अब केवल तीन विकल्प हैं—मौत, देश से पलायन, या कट्टरपंथ के आगे झुकना।”
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए यूनुस और कट्टरतावादियों के ओर से ‘सुनियोजित आतंकवादी हमला’ किया गया था और कहा कि यूनुस के नेतृत्व में डिजिटल आतंकवादियों जैसे पिनाकी भट्टाचार्य और इलियास हुसैन को खुला समर्थन मिल रहा है।
यूनुस सरकार की जवाबी कारवाई:
यूनुस सरकार ने इस पोस्ट को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह बांग्लादेश की छवि धूमिल करने और देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश है। सरकार का कहना है कि “रशीद ने सरकार की नीतियों को गलत तरीके से पेश किया और झूठा प्रचार किया।”
इसके बाद सरकार ने उनका और उनके परिवार का पासपोर्ट रद्द करने का आदेश दिया, जिससे वह अब बांग्लादेश की यात्रा नहीं कर सकते।
फिलहाल, मोहम्मद हारून अल रशीद कनाडा में हैं और अभी तक सरकार के इस फैसले पर उनकी ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
यह मामला बांग्लादेश में सरकार की आलोचना पर बढ़ती पाबंदियों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। यूनुस सरकार की यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकती है।
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