बिहार के मधुमक्खी पालकों को जीतन राम मांझी की बड़ी सौगात, ‘हनी मिशन’ को मिलेगा बढ़ावा

बिहार के मधुमक्खी पालकों को जीतन राम मांझी की बड़ी सौगात, ‘हनी मिशन’ को मिलेगा बढ़ावा

Jitan Ram Manjhi's big gift to the beekeepers of Bihar, 'Honey Mission' will get a boost

बिहार में ‘हनी मिशन’ को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने राज्य के पांच जिलों के मधुमक्खी पालकों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है। रविवार को उन्होंने खादी एवं ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत 210 लाभुकों को मधुमक्खी पालन किट वितरित किए। इस पहल का उद्देश्य न केवल स्थानीय किसानों और बेरोजगार युवाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रेरित करना है, बल्कि बिहार को शहद उत्पादन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करना भी है।

इस योजना के अंतर्गत पांच जिलों—सहरसा, बांका, बेगूसराय, खगड़िया और औरंगाबाद के मधुमक्खी पालकों को कुल 2,100 मधुमक्खी बॉक्स, मधुमक्खी परिवार और आवश्यक उपकरण प्रदान किए गए। इनमें से सबसे अधिक 110 लाभुक सहरसा जिले से थे, जबकि बांका में 30, बेगूसराय और खगड़िया में 25-25 तथा औरंगाबाद में 20 लाभुकों को इस योजना का लाभ मिला।

गया स्थित अपने कैंप कार्यालय से वर्चुअल मोड के माध्यम से जुड़े केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने लाभुकों को टूल किट वितरित करते हुए कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा संचालित योजनाएं देशभर में नए रोजगार सृजन का जरिया बन रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और ग्रामोद्योग विकास योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से कई बेरोजगार युवा स्व-रोजगार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि बिहार में हनी मिशन एक क्रांति का रूप ले और राज्य के किसान एवं युवा इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें। केंद्र और राज्य सरकारें इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही हैं।”

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के पूर्वी क्षेत्र के सदस्य मनोज कुमार सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी (पूर्वी क्षेत्र) और खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, पटना के निदेशक डॉ. एम. एच. मेवाती भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल बिहार में शहद उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मददगार साबित होगी।

सरकार की इस योजना से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बिहार के किसान और युवा अब शहद उत्पादन से आत्मनिर्भर बन सकते हैं, जिससे राज्य के आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा।

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