तमिलनाडु सरकार द्वारा 2025-26 के बजट के लोगो में रुपये के आधिकारिक सिंबल (₹) की जगह तमिल अक्षर के उपयोग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस फैसले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई और भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को इस निर्णय के लिए आड़े हाथों लिया है।
भाजपा का कड़ा विरोध: तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने डीएमके सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “तमिलनाडु सरकार के 2025-26 के बजट में उस रुपये के सिंबल को हटा दिया गया है, जिसे एक तमिल व्यक्ति ने डिजाइन किया था और जिसे पूरे भारत ने अपनाया है। इस सिंबल को उदय कुमार ने डिजाइन किया था, जो एक पूर्व डीएमके विधायक के बेटे हैं। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, आप और कितना मूर्खतापूर्ण निर्णय ले सकते हैं?”
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी इस फैसले को आड़े हाथों लेते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “उदय कुमार धर्मलिंगम, जो एक भारतीय अकादमिक और डिजाइनर हैं, वह एक पूर्व डीएमके विधायक के पुत्र हैं। उन्होंने भारतीय रुपये का सिंबल डिजाइन किया था, जिसे पूरे भारत ने स्वीकार किया, लेकिन मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तमिलनाडु बजट 2025-26 के दस्तावेज से इस सिंबल को हटा दिया। यह तमिलों का अपमान है। कोई कितना हास्यास्पद हो सकता है?”
डीएमके सरकार की सफाई देने की कोशिश: राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष जे. जयरंजन ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया पर कहा है, “तमिलनाडु सरकार के इस निर्णय को राजनीतिक रंग देने की जरूरत नहीं है। तमिलों ने कई खोजें की हैं, लेकिन इस एक को विशेष रूप से उजागर करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह निर्णय किसी का अपमान करने के लिए नहीं, बल्कि तमिल भाषा और संस्कृति के सम्मान के लिए लिया गया है।”
प्रदेश राजनीति और विचारधारा से तमिल अस्मिता जोड़ने की ओंछी राजनीति के चलते राष्ट्रिय मानकों को मिटवाना अलगाववाद की शुरुवात है, ऐसा करना भारत के संघीय अस्मिता और देश की एकात्मता के लिए खतरे के रुप में देखा जाना चाहिए।
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