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Wednesday, December 31, 2025
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केरल सरकार पहुँची सुप्रीम कोर्ट, कहा– SIR से स्थानीय निकाय चुनावों में ठप पड़ जाएगा प्रशासन

राज्य चुनाव आयोग ने मतदान के लिए 9 और 11 दिसंबर की तारीखें घोषित की हैं, जबकि मतगणना 13 दिसंबर को और पूरे चुनावी कार्यों का समापन 18 दिसंबर को होना है।

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केरल सरकार ने चुनाव आयोग द्वारा आदेशित स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। राज्य का कहना है कि इसी अवधि में स्थानीय निकाय चुनाव भी होने हैं और दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलना प्रशासनिक रूप से असंभव है। सरकार ने मांग की है कि SIR को कम से कम दिसंबर में होने वाले इन चुनावों के बाद तक स्थगित किया जाए।

याचिका में कहा गया है कि SIR की मौजूदा समय-सारणी स्थानीय स्वशासन संस्थानों (LSGI) के चुनाव कार्यक्रम से टकरा रही है। राज्य में करीब 1,200 स्थानीय निकाय और 23,612 वार्ड हैं। पिछला चुनाव दिसंबर 2020 में हुआ था और संविधान के अनुच्छेद 243E व 243U तथा केरल पंचायती राज और नगरपालिकाओं से जुड़े कानूनों के अनुसार पूरा चुनाव प्रक्रिया 21 दिसंबर 2025 तक पूरी होनी जरूरी है। राज्य चुनाव आयोग ने मतदान के लिए 9 और 11 दिसंबर की तारीखें घोषित की हैं, जबकि मतगणना 13 दिसंबर को और पूरे चुनावी कार्यों का समापन 18 दिसंबर को होना है।

सरकार ने दलील दी है कि चुनाव आयोजन के लिए लगभग 1.76 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती करनी होगी। वहीं SIR के लिए 25,000 से अधिक अतिरिक्त कर्मियों की जरूरत पड़ेगी। राज्य का कहना है कि दोनों कार्यों के लिए एक ही मशीनरी का इस्तेमाल प्रशासन को अत्यधिक तनावग्रस्त कर देगा और सामान्य शासन पूरी तरह बाधित होगा।

याचिका में यह भी बताया गया है कि SIR का समय-निर्धारण सीधे चुनाव अवधि से टकरा रहा है। 4 दिसंबर तक मतदाता सूची का घर-घर जाकर सत्यापन पूरा करना है, 9 दिसंबर तक डेटा जमा करना है और अंतिम वोटर लिस्ट 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जानी है। सरकार का कहना है कि ये तिथियाँ स्थानीय निकाय चुनावों के मतदान, मतगणना और प्रशासनिक प्रबंधन से सीधे टकराती हैं।

केरल सरकार ने यह भी कहा कि SIR को तुरंत पूरा करने की कोई तात्कालिक जरूरत नहीं है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में हो चुके हैं और विधानसभा चुनाव मई 2026 में होने हैं। ऐसे में SIR को कुछ महीनों के लिए टाल देने से किसी भी पक्ष को नुकसान नहीं होगा, बल्कि चुनाव सुचारू और व्यवस्थित तरीके से सम्पन्न हो सकेंगे।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि राज्य की प्रशासनिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए SIR की समय-सीमा पर रोक लगाई जाए और इसे स्थानीय निकाय चुनावों के बाद के लिए टाल दिया जाए, ताकि दोनों प्रक्रियाएँ बिना किसी अवरोध के पूरी हो सकें।

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