कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में प्रशिक्षु डॉक्टर के तौर पर काम करने वाली महिला डॉक्टर के साथ 9 अगस्त को बलात्कार हुआ था| इसके बाद उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई| मामले की जांच कोलकाता पुलिस के पास थी, इसके बाद इसे सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 9 अगस्त को हुए ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में आज (22 अगस्त) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसके बाद AIIMS के डॉक्टरों ने 11 दिन से चल रही हड़ताल खत्म कर दी है।
सुनवाई के दौरान CBI ने कोर्ट में कहा- क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 13 अगस्त को केस अपने हाथ में लिया था, तब तक सब कुछ बदल चुका था| उस दौरान क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की जा चुकी थी|सीबीआई को संदीप घोष की ओर से खामियां मिलीं हैं| सीबीआई का कहना है कि इस मामले को संवेदनशीलता से संभालने में अस्पताल अधिकारियों की ओर से भी लापरवाही की गई|
सीबीआई का मानना है कि ऐसे मामलों में सभी प्रोटोकॉल जानने के बावजूद अस्पताल के अधिकारी, पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष, अपराध स्थल की पूरी तरह से सुरक्षा करने में विफल रहे| ऐसे में एफआईआर दर्ज करने में देरी भी सीबीआई की जांच के दायरे में है| दरअसल, सीबीआई का मानना है कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से घोर लापरवाही बरती गई| इस संवेदनशील मसले को अस्पताल प्रबंधन ने सही ढंग से मामले को संभाला नहीं किया| यह सारी बातें सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के सामने रख दी हैं| अन्य स्टाफ पर भी सवाल उठे हैं|
सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोलकाता पुलिस ने क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद घेरा| एफआईआर में 14 घंटे की देरी हुई| इसके अलावा सीबीआई कोलकाता पुलिस की दी गई समय सीमा की भी जांच कर रही है| सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोलकाता रेप कांड में पीड़िता के साथ हुई घटना की सूचना भी परिजनों को देरी से दी गई थी|
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