अमेरिका में कानून सख्त, अवैध आप्रवासियों के लिए कोई जगह नहीं ट्रंप!

रिपब्लिकन कांग्रेसियों और सेनेट के सदस्यों ने कहा, सरकार का यह मानना है कि इस कानून से देश में बढ़ते अपराधों पर काबू पाया जा सकेगा।

अमेरिका में कानून सख्त, अवैध आप्रवासियों के लिए कोई जगह नहीं ट्रंप!

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चुनाव जीतकर सरकार में आते ही अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी ने लेकन रीले कानून को पारित कर दिया है| इस कानून के तहत यदि कोई आप्रवासी जुर्म करते हुए पकड़ा जाता है जिसके पास ज़रूरी दस्तावेज़ नहीं हैं या अवैध तरीके से अमेरिका में आकर रह रहे हैं तो उन्हें उनके देश में वापस भेजने की जगह गुआंतानामो जेल भेज दिया जायेगा|

रिपब्लिकन कांग्रेसियों और सेनेट के सदस्यों ने कहा, सरकार का यह मानना है कि इस कानून से देश में बढ़ते अपराधों पर काबू पाया जा सकेगा। देश में ज़्यादातर अपराध करने वाले अवैध अप्रवासी ही होते हैं जो पिछली सरकार के अक्षम कानून होने के कारण बच जाते थे| जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक सरकार में बढ़ते जुर्म और उनकी अप्रभावित नीतियों के कारण अमेरिकी लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे| मौजूदा सरकार की प्राथमिकता रहेगी कि देशवासियों की सुरक्षा पर पूरा ज़ोर दिया जाये| इसीलिए इस कानून को लाया गया है|

दरअसल, फरवरी 2024 को जॉर्जिया के ऑगस्टा विश्वविद्यालय में मेडिकल की पढ़ाई कर रही लेकन रीले की जोसे इबारा नाम के लड़के ने हत्या कर दी थी| जांच में पता चला कि वह अवैध रूप से मेक्सिको से अमेरिका में घुस आया था| अपने चुनाव प्रचार में ट्रम्प और जॉर्जिया के रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधि ने बार बार दोहराया था कि यदि डेमोक्रेटिक पार्टी के आप्रवासियों को लेकर कानून सख्त होते तो लेकन रीले की ऐसी निर्मम हत्या ना हुई होती। मेक्सिको की सीमा से लगे हुए राज्यों की ओर से कई बार आवाज उठायी जा चुकी है कि सीमा सुरक्षा और नियंत्रण की प्रक्रिया और कानून को सख्त किया जाये।

इस कानून के तहत यदि कोई अप्रवासी जुर्म करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे अमेरिका के फेडरल अधिकारी गिरफ्तार कर सकेंगे और किसी कोर्ट में सुनवाई का अधिकार उन्हें नहीं दिया जायेगा। यदि कोई अधिकारी गिरफ़्तारी नहीं करता है या कानूनी तरीके से अपना कार्य निर्वाह नहीं करता है तो राज्य सरकारों को यह अधिकार है की वे इसके खिलाफ केस दायर कर सकती हैं|

इस कानून पर हस्ताक्षर करते हुए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने कहा कि कुछ आप्रवासी इतने ज़्यादा खतरनाक हैं कि उन्हें उनके देश वापस भेज भी दिया जाये तो वे वापस अमेरिका में आ सकते हैं| इसीलिए इन्हे कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि वे क्यूबा के राष्ट्रपति से बात करके गुआंतानामो जेल में अपरावसीयों को भेजने की प्रक्रिया पर चर्चा करेंगे| गुआंतानामो जेल दुनिया का सबसे खतरनाक जेल मन जाता है जिसके ऊपर कई बार मानवाधिकारों का हनन करने के आरोप भी लगते आये हैं|

हालांकि यह कोई आसान कदम नहीं रहा है ट्रम्प सरकार के लिए| कई नेता विपक्ष और आस पास के देशो ने इस बार चिंता जताई है| क्यूबा के राष्ट्रपति के कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और क्यूबा में दोषी आप्रवासियों को भेजना अमेरिका का एक क्रूरता भरा कदम है जिसका क्यूबा सख्ती से विरोध करता है| दक्षिण अमेरिका के कई देशो में चिंता ज़ाहिर की है|

वही भारत के लिए भी इस कानून का पारित होना एक चिंता का विषय है क्यूंकि अब तक अमेरिका और भारत के बीच यह समझौता था कि यदि कोई भारतीय गैर कानूनी रूप से अमेरिका में प्रवेश करता है तो उसे भारत वापस निर्वासित कर दिया जायेगा,लेकिन इस कानून के आने से अमेरिका में बेस भारतियों की चिंता बढ़ गयी है|

इस कानून के पारित होने से कई नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का माना है कि यह एक बर्बर कानून है जिससे पारदर्शी परिणाम बहुत ही हानिकारक साबित होंगे| डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ नेताओं ने इसका स्वागत किया है लेकिन ज़्यादातर लोगों का यह मानना है कि इससे देश में राजनीतिक और सामाजिक रूप से द्वेष बढ़ जायेगा और सुरक्षा कर्मियों के हाथ इतनी ताकत आने से पक्षपात और असंवैधानिक रूप से कार्यवाही की आशंका है| उनक कहना है कि इसमें ऐसे प्रावधान हैं जिनके तहत यदि झूठा इलज़ाम भी लग जाये तो भी आरोपी के पास कोई उपाय नहीं है|

अमेरिका में रह रहे प्रवासी और अप्रवासी भारतीय दोनों ही इस स्थिति की गंभीरता को लेकर चिंतित हैं|उनका मानना है कि इस कदम से कई मात्रा में भारतीयों को निर्वासित किया जा सकता है|भारत की अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं है लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही दोनों देश किसी मानवीय समझौते पर पहुंचेंगे।

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