लोकसभा चुनाव के सातवें यानि अंतिम चरण का मतदान जून को चुनाव होने जा रहा हैं,इसी के साथ पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं| जालंधर, होशियारपुर और गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र को एनआरआई सीट काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग विदशों में बसे हुए हैं और अपने गांवों के प्रति प्रेम व लगाव उसी तरह का बना हुआ हैं| इसके चलते यहां की सियासत पर भी एनआरआई लोगों का प्रभाव अच्छा खासा देखने को मिलता है|
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख और चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने पंजाब में चुनाव प्रचार समाप्त होने से बमुश्किल तीन दिन पहले 30 जनवरी को फगवाड़ा में पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली चुनावी रैली को संबोधित किया, जहां बसपा संस्थापक और उनके गुरु कांशीराम का जन्म हुआ था। पंजाब की 32 प्रतिशत आबादी वाले दलित, कई सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।
मध्य पंजाब को व्यास और सतलज के का क्षेत्र कहा जाता है, यहां लोकसभा की दो सीटें आती हैं, जिसमें एक जालंधर और दूसरी होशियारपुर. ये दोनों ही सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित हैं| गुरदासपुर लोकसभा सीट पंजाब के मांझा के इलाके में आती है| गुरदासपुर और होशियारपुर लोकसभा सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है, जबकि जालंधर सीट कांग्रेस की सीट रही है| इस बार इन तीनों ही लोकसभा सीटों पर राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदला हुआ है|
हिंदू वोट के आसरे भाजपा पंजाब में अपनी जमीन तलाशने में लगी है, तो कांग्रेस भी हिंदू वोटों में खासी पैठ रखती है| इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में किसान समुदाय के वोटर निर्णायक हैं| ऐसे में कांग्रेस के सुखजिंदर सिंह रंधावा के जरिए भाजपा के लिए चिंता खड़ी कर रखी है, लेकिन हिंदू वोटों के दम पर सियासी उलटफेर की संभावना दिख रही है|
पंजाब में पिछले पांच साल में 75 एनआरआई मतदाताओं में बढ़ोतरी हुई है| EC के आंकड़ों के मुताबिक, 1 मार्च 2024 की मतदाता सूची के अनुसार राज्य में एनआरआई मतदाताओं की संख्या 1597 है, जबकि 2019 में 1522 थी|
गुरदासपुर में सबसे ज्यादा एनआरआई मतदाताओं की संख्या भले ही कम हो, लेकिन सियासी प्रभाव काफी ज्यादा है. इसीलिए कांग्रेस और अकाली दल ने ज्यादातर देशों में एनआरआई विंग बना रखी है| आम आदमी पार्टी ने तो इस वर्ग में सबसे अच्छा नेटवर्क बनाया है| देखना होगा कि इस बार पंजाब की सियासत में एनआरआई चुनावी माहौल किस तरह बनाते हैं|
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