ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन पर ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को करारा जवाब देते हुए कहा, “दुनिया बदल चुकी है, अब हमें सम्राट नहीं चाहिए।” अमेरकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में BRICS सम्मेलन पर अपनी जलन को टेर्रिफ की धमकी से रोकना चाहा था, जिसके बाद लूला का यह जवाब आया।
लूला ने कहा कि ब्रिक्स देशों का उद्देश्य वैश्विक अर्थव्यवस्था को नए सिरे से संगठित करना है और यही बात कुछ ताकतवर देशों को असहज कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “दुनिया को ऐसे व्यापारिक विकल्पों की जरूरत है जो अमेरिकी डॉलर पर निर्भर न हों।”
ट्रंप की धमकी:
ट्रंप ने Truth Social पर साझा किए गए पत्रों में बताया कि उन्होंने 14 देशों पर नए टैरिफ लगाए हैं।
- 25% टैरिफ: दक्षिण कोरिया, जापान, कज़ाखस्तान, मलेशिया, ट्यूनिशिया
- 30-36% टैरिफ: दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, सर्बिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया, थाईलैंड, बोस्निया
- 40% टैरिफ: म्यांमार, लाओस
जानकारी के अनुसार अमेरिका फिलहाल सभी ब्रिक्स देशों पर 10% टैरिफ लगाने का इरादा नहीं रखता, लेकिन यदि कोई देश “अमेरिका-विरोधी कदम” उठाता है तो अमेरिका कार्रवाई कर सकता है।
लूला ने साफ शब्दों में कहा, “हमारी व्यापारिक गतिविधियां डॉलर के जरिए ही क्यों संचालित हों? हमें ऐसे विकल्प तलाशने होंगे जो धीरे-धीरे स्थायी और वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य बन सकें।” उन्होंने सुझाव दिया कि विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक मिलकर इस पर विमर्श करें।
ब्रिक्स नेताओं की प्रतिक्रियाएं
- दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा, “हम किसी भी ताकत से प्रतिस्पर्धा नहीं चाहते। हमें अमेरिका से भविष्य में व्यापार समझौते की उम्मीद है।”
- चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “टैरिफ को दबाव और धमकी का उपकरण नहीं बनाना चाहिए। ब्रिक्स का उद्देश्य सहयोग है, न कि टकराव।”
- रूस के क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा, “ब्रिक्स में हमारा सहयोग साझा वैश्विक दृष्टिकोण पर आधारित है और किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है।”
भारत की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। कई ब्रिक्स देश अमेरिका के साथ व्यापारिक रूप से गहराई से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए, नया ब्रिक्स सदस्य इंडोनेशिया इन दिनों अमेरिकी अधिकारियों से टैरिफ पर बातचीत करने के लिए वॉशिंगटन यात्रा पर है। ब्रिक्स का यह रुख ऐसे समय में सामने आया है जब G7 और G20 जैसे समूह भी आंतरिक मतभेदों से जूझ रहे हैं और अमेरिका की “America First” नीति वैश्विक बहुपक्षीय संवाद में असंतुलन पैदा कर रही है।
2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ शुरू हुआ ब्रिक्स समूह अब लगातार विस्तार कर रहा है। दक्षिण अफ्रीका के बाद पिछले वर्ष मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई सदस्य बने। सऊदी अरब अभी पूर्ण सदस्य नहीं है, लेकिन वह साझेदार देश के रूप में शामिल है। अब तक 30 से अधिक देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई है।
लूला का दो टूक बयान और ब्रिक्स नेताओं की एकजुट प्रतिक्रिया इस ओर संकेत करती है कि दुनिया अब अमेरिका की एकतरफा नीतियों से इतर एक बहुपक्षीय, समावेशी और संतुलित वैश्विक व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। ट्रंप की धमकियों के बीच ब्रिक्स का यह रुख वैश्विक आर्थिक शक्ति संतुलन को एक नए दौर में ले जा सकता है।
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