भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें हुतात्मा चौक जाकर माफी मांगनी चाहिए। भातखलकर ने आरोप लगाया कि मराठी अस्मिता के लिए जान गंवाने वाले 106 हुतात्माओं पर गोली चलाने वाली पार्टी के साथ गठबंधन करना शर्मनाक है।
भैयाजी जोशी के बयान से शुरू हुआ विवाद: आरएसएस के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी के मराठी भाषा को लेकर दिए गए बयान के बाद राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे ने तूल पकड़ा। विधानसभा सत्र में भी यह मामला गूंजा। विरोधी दलों ने सरकार से इस पर रुख साफ करने को कहा, जिस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जवाब दिया कि “मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है, लेकिन यहां अन्य भाषाओं का भी सम्मान किया जाता है।”
ठाकरे का हुतात्मा स्मारक पर अभिवादन और बयान: इस विवाद के बीच ठाकरे गुट के नेता उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी के विधायकों के साथ हुतात्मा स्मारक पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “मैंने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, इसे बार-बार दोहराने की जरूरत नहीं। चाहे कोई कितनी भी नफरत फैलाने की कोशिश करे, मुंबई को मराठी लोगों से अलग नहीं किया जा सकता। भैयाजी जोशी पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।”
इस दौरान उनके साथ जयंत पाटील, डॉ. नितिन राउत, सचिन अहिर, अजय चौधरी, भास्कर जाधव, विजय वडेट्टीवार और भाई जगताप जैसे कई विधायक मौजूद थे।
अतुल भातखलकर की कड़ी प्रतिक्रिया: भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने ठाकरे के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “हुतात्मा चौक पर जाकर माफी मांगें। जिस पार्टी ने मराठी अस्मिता के लिए संघर्ष कर रहे 106 आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाईं, उसी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया और अब उन्हीं के साथ हुतात्मा स्मारक पर नाटक कर रहे हैं।”
106 हुतात्माओं की शहादत – ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1956 में जब राज्य पुनर्गठन आयोग ने मुंबई को महाराष्ट्र से अलग रखने का सुझाव दिया, तब इसका भीषण विरोध हुआ।
21 नवंबर 1956 को हजारों मराठी लोग फ्लोरा फाउंटेन (अब हुतात्मा चौक) पर विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई ने भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दिया, जिसमें 106 आंदोलनकारी शहीद हो गए। इस घटना के बाद फ्लोरा फाउंटेन का नाम बदलकर हुतात्मा चौक रखा गया।
उद्धव ठाकरे द्वारा हुतात्मा स्मारक पर दी गई श्रद्धांजलि के बाद भाजपा ने उन पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाया है। भातखलकर के इस हमले के बाद शिवसेना (ठाकरे गुट) और भाजपा के बीच विवाद और गहरा सकता है।
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