उन्होंने आगे कहा, “मुंबई मां की तरह सबको संभालती है। जो भी यहां आता है, उसे कभी परायापन महसूस नहीं होता। यहां की मिट्टी जिसके सिर पर लग जाती है, वह सिर्फ आगे ही बढ़ता है। ऐसे शहर में भाषा को लेकर विवाद खड़ा करना सही नहीं है।”
आव्हाड ने अभिजात भाषा के दर्जे पर टिप्पणी करते हुए कहा, “एक तरफ भाषा को अभिजात का दर्जा दिया जाता है और दूसरी तरफ उसे अपमानित किया जाता है। क्या यह सही है?”
गौरतलब है कि भैयाजी जोशी ने एक कार्यक्रम में कहा था, “मुंबई की कोई एक विशेष भाषा नहीं है। इसलिए यहां आने वालों के लिए मराठी सीखना अनिवार्य नहीं है।”
वहीं, मंत्री नितेश राणे ने भैयाजी जोशी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने मराठी भाषा का अपमान नहीं किया। उन्होंने सिर्फ यह बताया कि मुंबई एक ऐसा शहर है जहां विभिन्न राज्यों के लोग रहते हैं और अपनी-अपनी भाषाएं बोलते हैं। पहले बयान को ठीक से समझना चाहिए, फिर उस पर कोई निष्कर्ष निकालना चाहिए।
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की एडवाइजरी: होली के दिन जुमे की नमाज का समय एक घंटे बढ़ाने की अपील!