अजित पवार की बगावत से राज्य में सियासी भूचाल आ गया है| इसका झटका गढ़चिरौली में भी महसूस किया गया है और जैसे ही एनसीपी नेता धर्मराव बाबा अत्राम ने मंत्री पद की शपथ ली, गढ़चिरौली भाजपा में खासी बेचैनी है,जबकि जिले में भाजपा के दो विधायक और एक सांसद हैं, लेकिन दूसरी पार्टी के एक नेता को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वे निजी तौर पर इस फैसले को लेने पर नाराजगी जता रहे हैं|
धर्मरावबाबा अत्राम को गढ़चिरौली जिले की राजनीति में सबसे वरिष्ठ नेता के रूप में जाना जाता है। 1990 में अहेरी विधान सभा से निर्वाचित होने के बाद वह राज्य की राजनीति में सक्रिय हो गये। गढ़चिरौली जिले की राजनीति हमेशा अहेरी के शाही परिवार से स्थानांतरित होती रही है। धर्मराव बाबा इसी राजघराने से आते हैं| चूंकि उनके राजनीतिक दायरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए उन्हें तीन बार राज्य मंत्री और अब कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला।
लेकिन इस बार ऐसी चर्चा है कि अजित पवार के साथ भाजपा-शिवसेना सरकार में जगह मिलने से गढ़चिरौली में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे| सबसे ज्यादा बेचैनी भाजपा में है|हालांकि, वरिष्ठ नेतृत्व के फैसले पर वह खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
विधायक कृष्णा गजबे और डॉ. को उम्मीद है कि कैबिनेट विस्तार में हमें जगह मिलेगी. देवराव होली ने की थी| ऐसा दावा उनके कार्यकर्ता कई बार कर चुके हैं| दूसरी ओर, धर्मराव बाबा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वह आगामी लोकसभा लड़ेंगे। इससे भाजपा सांसद अशोक नेते की चिंता बढ़ गई है| अहेरी विधानसभा में भी मंत्री अत्राम के भतीजे भाजपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री अंबरीश अत्राम की उम्मीदवारी भी खतरे में है|पिछली बार मोदी लहर में धर्मराव बाबा ने उन्हें हरा दिया था|
इस साल बाबा की बेटी पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष भाग्यश्री अत्राम (हलगेकर) ने अहेरी विधानसभा से चुनाव लड़ने की घोषणा की है| तो बाबा उस जगह पर भी दावा करने जा रहे हैं| ऐसे में भाजपा अंबरीश अत्राम को उम्मीदवारी के लिए खारिज कर सकती है| कुल मिलाकर रविवार का सियासी घटनाक्रम भाजपा नेताओं को परेशानी में डाल रहा है| ऐसी चर्चा इस समय जिले में है।
सांसद अशोक नेतेरी की उम्मीदवारी खतरे में?: गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा पिछले दस साल से भाजपा के पास है| विशेषज्ञों का कहना है कि सीमित जनसंपर्क और सत्ता विरोधी माहौल का असर इस साल सांसद अशोक नेते पर पड़ सकता है। इसलिए उनकी उम्मीदवारी पर संदेह जताने की चर्चा एक साल से भाजपा में थी|
यह भी चर्चा थी कि धर्मा राव बाबा को भाजपा उम्मीदवार बनाएगी| रविवार को हुए कैबिनेट फेरबदल में बाबा को जगह मिलने के बाद अशोक नेतेरे की उम्मीदवारी खतरे में पड़ गई है। इसलिए जिले के राजनीतिक गलियारों में कल से ही चर्चा है कि धर्माराव बाबा अत्राम ही लोकसभा के लिए भाजपा के अगले उम्मीदवार होंगे|
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