CM शिंदे का राजस्थान दौरा,क्या “लाल डायरी” वाले राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना के साथ होगें?         

इस संदर्भ में राजस्थान शिवसेना प्रभारी चंद्रराज सिंघवी एक ट्वीट  किया है।

CM शिंदे का राजस्थान दौरा,क्या “लाल डायरी” वाले राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना के साथ होगें?         

राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस के साथ खेला होने जा रहा है। एक दिन पहले ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजेंद्र गुढ़ा के लाल डायरी का जिक्र कर बीजेपी पर हमला बोला था। अब बताया जा रहा है कि राजेंद्र गुढ़ा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल होंगे। इससे राजस्थान का कांग्रेस का समीकरण गड़बड़ा सकता है। क्योंकि, राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस से निष्कासित नेता है। पहले ऐसी भी खबरें थी राजेंद्र गुढ़ा अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। लेकिन अब कहा जा रहा 9 सितंबर को अपने जन्मदिन पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ जा सकते हैं। इसके लिए जोरशोर से तैयारियां भी शुरू हो गई है।

इसी साल जुलाई माह में राजस्थान विधानसभा में गहलोत सरकार को महिला सुरक्षा पर आइना दिखाने वाले राजेंद्र गुढ़ा एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। खबरों में दावा किया गया है कि राजेंद्र गुढ़ा अपने बेटे के जन्मदिन यानी 9 सितंबर को एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल होंगे। इस मौके खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी उपस्थित रहेंगे। हालांकि, खबरों में यह नहीं कहा गया है कि राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना का दामन थामेंगे।बल्कि ऐसी चर्चाएं हैं। लेकिन, मुख्यमंत्री की उपस्थिति इस बात की ओर इशारा है कि राजेंद्र गुढ़ा कुछ नया करने वाले हैं।

उनके इस निर्णय से राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। दरअसल, एकनाथ शिंदे बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना का प्रतिनित्व कर रहे हैं। शिवसेना से अलग होने के बाद से एकनाथ शिंदे पार्टी का विस्तार करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। पहले अविभाजित शिवसेना उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में विस्तार करने की कोशिश की थी. लेकिन, कामयाबी नहीं मिल पाई। अब देखना होगा कि सीएम शिंदे की यह पहल शिवसेना को कहां पहुंचाती है।अगर राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना में शामिल होते हैं तो राजस्थान शिवसेना के लिए फ़ायदा हो सकता है।

राजेंद्र गुढ़ा राजनीति रूप से बहुत की महत्वकांक्षी नेता है। उन्होंने अपना राजनीति करियर बसपा से शुरू किया था। 2008 में उन्होंने बसपा के टिकट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस और बीजेपी उम्मीदवारों को हराकर जीत दर्ज की थी। इसके बाद राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने 2013 में राजेंद्र गुढ़ा को उदयपुरवाटी से उम्मीदवार बनाया। जिसमें राजेंद्र गुढ़ा हार गए। इस वजह से कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया। इसकी वजह से राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस से नाराज थे। लेकिन, इस दौरान बसपा ने एक बार फिर उनके आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाया और उन्हें अपने टिकट पर उदयपुरवाटी से चुनाव में उतारा। जहां राजेंद्र गुढ़ा ने 2008 का इतिहास दोहराते हुए बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार को पटखनी दे दी।

अपनी फितरत के लिए मशहूर राजेंद्र गुढ़ा फिर बसपा को दगा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए।  जहां कांग्रेस ने उन्हें मंत्री बनाया। मगर मन मुताबिक़ विभाग नहीं मिलने की वजह से राजेंद्र गुढ़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज चल रहे थे। कहा जाता है कि राजेंद्र गुढ़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी नेताओं में थे। बावजूद इसके मनपसंद विभाग नहीं मिलाने वे अशोक गहलोत से नाराज थे। इसी साल जब मणिपुर के मुद्दे पर कांग्रेस बीजेपी को घेर रही थी। तो  21 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में कार्यवाही के दौरान राजेंद्र गुढ़ा ने कहा था कि “यह सच है कि और इसे स्वीकार करना चाहिए कि हम महिला सुरक्षा में विफल रहे हैं। राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़े है, उस हालत में हमें मणिपुर के बजाय अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए। इस बयान के बाद बवाल मच गया।

सीएम अशोक गहलोत ने छह घंटे के अंदर ही राज्यपाल को गुढ़ा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के लिए सिफारिश कर दी और उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया। इसके बाद राजेंद्र गुढ़ा ने एक लाल डायरी दिखाते हुए राजस्थान सरकार की कई पोल भी खोलने का दावा किया और    भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया। अगर राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना से अपनी नई पारी शुरू करते हैं।  तो यह चौंकाने वाली खबर हो सकती है। क्योंकि राजेंद्र गुढ़ा बीजेपी में कभी शामिल नहीं होने की कसम खाते रहे हैं। जबकि महाराष्ट्र में शिंदे बीजेपी के साथ ही सत्ता में है। ऐसे में राजेंद्र गुढ़ा पर कांग्रेस हमला बोल सकती है।

वैसे, कांग्रेस से निकाले जाने के बाद से यह चर्चा थी राजेंद्र गुढ़ा ओवैसी की पार्टी में शामिल होंगे। इसके लिए राजेंद्र गुढ़ा ने ओवैसी के साथ जयपुर में बैठक भी की थी। शायद ओवैसी के साथ राजेंद्र गुढ़ा की बात आगे नहीं बढ़ पाई और अब शायद  वे शिवसेना के साथ अपनी नई पारी शुरू कर सकते है। वैसे कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं,जैसे कि क्या बीजेपी उदयपुर वाटी सीट शिंदे के लिए छोड़ेगी। अगर बीजेपी इस सीट से चुनाव लड़ती है तो  राजेंद्र गुढ़ा का बीजेपी गठबंधन के साथ जाने का क्या फ़ायदा। वैसे यह कहना मुश्किल है कि बीजेपी इस सीट पर चुनाव लड़ेगी। क्योंकि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी लाल डायरी का जिक्र कर गहलोत सरकार को घेरते रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि बीजेपी राजेंद्र गुढ़ा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर बनाये हुए है। अगर इस सीट से बीजेपी के समर्थन से राजेंद्र गुढ़ा की जीत होती है तो पार्टी को फायदा ही होगा।

इस संदर्भ में राजस्थान शिवसेना प्रभारी चंद्रराज सिंघवी एक ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा है कि “9 सितंबर को राजेंद्र जी गुढा के आने से शिवसेना की ताकत बढ़ेगी, लेकिन यह तो अभी शुरुआत है, पर्दे के पीछे 20 जीतने लायक उम्मीदवार शिवसेना का दामन थामने के लिए तैयार हैं, बारी बारी ये लोग इस पर निर्भर करेंगे कि भारतीय जनता पार्टी हमें कितनी सीट समझौते के तहत देती है ,क्योंकि महाराष्ट्र मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि हम कोई ऐसा कदम नहीं उठाएंगे जिससे भाजपा का नुकसान हो।

तो अब देखना होगा कि राजेंद्र गुढ़ा को लेकर बीजेपी राजस्थान में क्या रणनीति बनाती है। क्योंकि शिवसेना और बीजेपी का महाराष्ट्र में गठबंधन है। इतना ही नहीं यह भी देखना होगा की बीजेपी गहलोत के खिलाफ राजेंद्र गुढ़ा कैसे इस्तेमाल करती है। सबसे बड़ी बात यह है कि क्या राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना में टिके रहेंगे या यहां भी दलबदलू का काम जारी रखेंगे।

 

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