नंदकुमार गोपाले ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि इन लैब में ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, जो अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को ट्रेस कर सकते हैं। खास तौर पर बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के मामले, जो लगातार बढ़ रहे हैं, उन पर नजर रखने के लिए भी खास कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि एक खास सॉफ्टवेयर की मदद से पैसे के लेन-देन का पूरा ट्रेल ट्रैक किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि पैसा कहां से कहां ट्रांसफर हुआ।
उन्होंने आगे कहा कि साइबर अपराधी अक्सर व्हाट्सऐप, ईमेल, टेलीग्राम ग्रुप्स और स्कूपिंग कॉल्स के जरिए लोगों तक पहुंचते हैं। इन अपराधों में इस्तेमाल होने वाले डिवाइस की लोकेशन ढूंढने की सुविधा अब इन लैब में उपलब्ध है।
गोपाले ने बताया कि ये साइबर लैब न सिर्फ डेटा रिकवरी में मदद करेंगी, बल्कि अपराधियों को पकड़ने में भी पुलिस की ताकत बढ़ाएंगी। बैंकिंग फ्रॉड के मामलों में पैसों का पता लगाना पहले मुश्किल होता था, लेकिन अब नए सॉफ्टवेयर से यह काम आसान हो गया है। इन लैब्स के जरिए पुलिस क्षतिग्रस्त फोन या डिवाइस से भी सबूत जुटा सकेगी, जो जांच में अहम साबित होंगे।
मुंबई पुलिस का मानना है कि इन साइबर लैब्स के शुरू होने से अपराधियों को ट्रैक करना और लोगों को सुरक्षित रखना आसान हो जाएगा। आने वाले दिनों में बाकी लैब्स के शुरू होने से यह व्यवस्था और मजबूत होगी।
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