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Sunday, December 29, 2024
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उबाठा सीटों पर गठबंधन में दरार, भाजपा विधायक भातखलकर ने उठाए गंभीर सवाल! 

मवि​आ​ के सीट आवंटन में उद्धव ठाकरे को जो 85 सीटें मिलीं, उसकी चर्चा हर जगह हो रही है​|​ एक समय ​भाजपा​ के साथ गठबंधन में शिवसे​ना को 150 से ज्यादा सीटें मिलती थीं​|​

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भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने गठबंधन के आंकड़े पोस्ट करते हुए कहा, लोकसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल राज्य चुनाव के लिए तैयार हैं| महायुति और मविआ की ओर से सीटों का बंटवारा जारी है| भाजपा-शिंदे-राष्ट्रवादी अजित पवार ग्रुप की पहली लिस्ट जारी हो गई है| मविआ से शिवसेना उबाठा गुट के 65 उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित की गई।

संजय राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहाकि एनसीपी शरद पवार गुट, कांग्रेस को अभी भी सूची का इंतजार है| इससे पहले सीट बंटवारे को लेकर कल मविआ में बैठक हुई और 85 का फॉर्मूला तय हुआ, जबकि बाकी सीटों पर सहयोगी दलों से चर्चा की जाएगी|

मविआ में तीनों पार्टियों के बीच 85 – 85 – 85 के फॉर्मूले पर सहमति बनी और तीनों पार्टियां सहमत भी हो गईं|लेकिन, मविआ के सीट आवंटन में उद्धव ठाकरे को जो 85 सीटें मिलीं, उसकी चर्चा हर जगह हो रही है|एक समय भाजपा के साथ गठबंधन में शिवसेना को 150 से ज्यादा सीटें मिलती थीं|

उद्धव ठाकरे हर किसी को यह कहते घूम रहे हैं कि जब वह गठबंधन में थे तो वह सब ख़त्म हो चुके थे। हालांकि, उबाठा ने मविआ की 85 सीटों पर जो सहमति दिखाई थी, वह किसने और कहाँ की थी? यह सब कुछ दिखाई दे रहा है| भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने भी गठबंधन के दौरान शिवसेना के आंकड़ों की सूची की घोषणा करते हुए ट्वीट किया|

अतुल भातखलकर के ट्वीट: 2019 में तत्कालीन शिवसेना को 124 सीटें मिली थीं, जिसमें 56 विधायक चुने गए| 2014 में कोई गठबंधन नहीं था, शिवसेना ने 286 सीटों पर चुनाव लड़ा – 63 सीटें जीतीं| 2009 में ठाकरे ने 160 सीटें – 45 सीटें जीतीं और 2004 में सेना ने 163 सीटों पर चुनाव लड़ा – 62 उम्मीदवार जीते| 1999 में शिवसेना ने 161 सीटों पर चुनाव लड़ा और 69 सीटों पर जीत दर्ज की| 1995 में, शिवसेना ने 169 सीटों पर चुनाव लड़ा – 73 सीटें जीतीं।

इस बीच यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वाकई इन आंकड़ों के सामने आने के बाद उबाठा-गठबंधन में दरार पैदा हो गई है|साथ ही इस बार का चुनाव दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि शिवसेना में दो गुट हैं और एनसीपी में भी दो गुट हैं| इससे प्रमुख नेताओं के साथ कार्यकर्ता भी बट गए हैं।

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