महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा| इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को कड़े शब्दों में फटकार लगाई थी|अदालत ने निर्देश दिया था कि राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम के कारण सुनवाई में लंबे समय तक देरी होने की संभावना है और उन्हें एक संशोधित कार्यक्रम प्रस्तुत करना चाहिए। तो आखिर विधानसभा अध्यक्ष आज कोर्ट में क्या पेश करेंगे? इस बात पर सभी ने गौर किया है| सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा स्पीकर का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कर रहे हैं|
कानूनी विशेषज्ञ उल्हास बापट की महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया: विधानसभा अध्यक्ष आज पुराना शेड्यूल कोर्ट को सौंप सकते हैं| खबर है कि कोर्ट के लिखित आदेश के बाद वे अगला फैसला लेंगे| अगर विधानसभा अध्यक्ष अगले दो महीने के भीतर विधायकों की अयोग्यता पर उचित निर्णय नहीं लेते हैं, तो क्या सुप्रीम कोर्ट उन्हें पद से हटा सकता है? या सुप्रीम कोर्ट ऐसा निर्देश दे सकता है? ऐसा सवाल खड़ा हो गया है| इस पर अब वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ उल्हास बापट ने प्रतिक्रिया दी है| क्या सुप्रीम कोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को हटा सकता है? यह सवाल पूछे जाने पर उल्हास बापट ने कहा, ”यह एक ‘ट्रिब्यूनल’ है क्योंकि यह एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है| इसलिए राहुल नार्वेकर के काम पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लग सकती है,लेकिन अगर मामला बहुत गंभीर हो तो सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करता है, अन्यथा नहीं| ”
“दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पांच महीने हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी संबंधित फैसले में थोड़ी गलती की है| उनके द्वारा लिये गये निर्णय में कुछ अस्पष्टता थी। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा कि सत्ता के विकेंद्रीकरण (शक्तियों का पृथक्करण) के कारण विधानसभा अध्यक्ष को उचित समय के भीतर निर्णय लेना चाहिए। लेकिन उचित समय की सैकड़ों व्याख्याएं हो सकती हैं। साथ ही उन्हें साफ शब्दों में कहना चाहिए था कि तीन महीने में फैसला लें.” उल्हास बापट ने ये भी कहा|
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