“अगर जरांगे पाटिल राजनीति में आए…”, इम्तियाज जलील की जरांगे को आरक्षण मुद्दा सुलझाने की दी सलाह!

आरक्षण का मुद्दा सुलझाने के लिए सिर्फ आंदोलन से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके लिए हमें अपने विचारों के लोगों को विधानसभा और संसद में भेजना होगा​| एमआईएम सांसद इम्तियाज जलील ने अपील की है कि मनोज जरांगे पाटिल को इस पर विचार करना चाहिए​|

“अगर जरांगे पाटिल राजनीति में आए…”, इम्तियाज जलील की जरांगे को आरक्षण मुद्दा सुलझाने की दी सलाह!

"If Jarange Patil comes into politics...", Imtiaz Jalil's advice to Jarange to resolve the reservation issue!

मराठा, मुस्लिम और ओबीसी समुदायों का विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने फायदे के लिए शोषण किया है। भले ही राज्य की सारी सत्ता मराठा समुदाय के हाथों में है, फिर भी आज मराठा समुदाय को सड़कों पर उतरने की नौबत क्यों आ गई? क्या कारण है कि राज्य का पूरा मराठा समुदाय मनोज जरांगे पाटिल जैसे छोटे गांव के नेता के पीछे एकजुट है? इन सवालों का जवाब देने की जरूरत है​|आरक्षण का मुद्दा सुलझाने के लिए सिर्फ आंदोलन से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके लिए हमें अपने विचारों के लोगों को विधानसभा और संसद में भेजना होगा​| एमआईएम सांसद इम्तियाज जलील ने अपील की है कि मनोज जरांगे पाटिल को इस पर विचार करना चाहिए​|

सांसद इम्तियाज जलील ने कहा कि पिछले हफ्ते दिल्ली में बोलते हुए मैंने कहा था कि आज महाराष्ट्र में सबसे बड़ा नेता कौन है, वह मनोज जरांगे पाटिल हैं​| जरांगे पाटिल का समाज के प्रति जुनून देखकर लोग उनकी ओर आकर्षित होते हैं। स्टंट करने वाले नेताओं को लोग तुरंत पहचान लेते हैं​, लेकिन क्योंकि जरांगे पाटिल बिना कोई नौटंकी किए समाज की समस्याओं को सुलझाने का बीड़ा उठाते हैं, इसलिए मराठा समाज ने जरांगे पाटिल को अपना नेता मान लिया है​|

“लेकिन मराठा समुदाय के आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। जब राज्य सरकार का प्रतिनिधिमंडल जरांगे से मिला तो वे कैसे आश्वासन दे रहे थे? हम सबने इसे देखा​| प्रधानमंत्री मोदी को इस बात पर भरोसा नहीं है कि वह राम मंदिर के उद्घाटन के अगले दिन भी चुनाव की घोषणा कर सकते हैं​| तब राज्य सरकार कहेगी कि अब आचार संहिता लागू हो गई है तो आरक्षण नहीं दिया जा सकता​| पिछले कई वर्षों से कई समुदायों को इसी तरह मूर्ख बनाया गया है”, जलील ने केंद्र और राज्य सरकारों की आलोचना की।

जरांगे पाटिल को राजनीति में आने पर विचार करना चाहिए: मैं अपने मुस्लिम समुदाय से हमेशा कहता हूं कि जब तक लोग अपने विचार विधानसभा और लोकसभा में नहीं भेजेंगे, तब तक समाज की समस्याएं हल नहीं होंगी| कानून सड़क पर नहीं बनते, उसके लिए सदन में ही जाना पड़ता है| तो मैं जरांगे पाटिल को भी यही सलाह दूँगा। उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए|  लोग उनकी आलोचना करेंगे, लेकिन उन्हें इस बारे में नहीं सोचना चाहिए|’ क्योंकि अगर आरक्षण का समाधान निकालना है तो विधानसभा और संसद से ही निकलेगा। जरांगे पाटिल का आंदोलन कितना भी मजबूत क्यों न हो, सरकार निर्णय लेगी”, सांसद जलील ने आग्रह किया।

राजनीति ने हमें मार डाला: इस बीच सांसद जलील की अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए जरांगे पाटिल ने कहा, ”हमारा रास्ता राजनीति नहीं है​| गरीबों को न्याय मिलना चाहिए, आरक्षण मिलना चाहिए​| हमें लगता है कि इन लड़कों को बड़ा होना चाहिए। यह राजनीति ही है जिसने हमें मार डाला है।’ जन आंदोलन में इतनी ताकत होती है यह अब सिद्ध हो गया है। लोगों की धारणा थी कि आंदोलन से कुछ हासिल नहीं होता​| यह बहुत बड़ी गलतफहमी थी​| सामाजिक क्षेत्र में जाकर आंदोलन करना गरीबों का काम नहीं है​| लेकिन, इस आंदोलन के कारण 56 लाख लोगों को आरक्षण मिल गया है​| इसका मतलब है कि आंदोलन में ताकत है।
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