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Sunday, November 24, 2024
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कोविड के दौरान सीआरजेड जोन में यह कैसा घोटाला ?- भातखलकर

इस पूरी प्रक्रिया में लाखों रुपये और करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। इस स्टूडियो का किराया किसकी जेब में गया? यह किसका आशीर्वाद है इसको लेकर कई सवाल उठे हैं।

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प्रदेश में मानसून सत्र चल रहा है और ​इन दिनों पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर हमलवार होते दिखाई दे रहे है| सत्र के दौरान राज्य का सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है| इसी बीच ​मलाड के सीआरजेड जोन में अवैध निर्माण के मुद्दे पर भाजपा नेता व विधायक अतुल भातखलकर ने सीआरजेड​ जोन हुए अवैध निर्माण के ​जांच की मांग की है| बता दें कि ​मुंबई के एक उपनगर मलाड पश्चिम में मध्य क्षेत्र के एरंगल में एमटीडीसी यानी राज्य सरकार के सीआरजेड जोन की एक बड़ी जमीन है। कलेक्टर के पास इसके बगल में कुछ जमीन भी है।

भाजपा विधायक ने कहा कि जब महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में थी, तब​ उनके नेता ​पर्यावरण के नाम पर जमकर​ हंगामा खड़ा करते ​रहते थे। हालांकि इन ​​एमटीडीसी पदों को भरने के लिए आवेदन किए गए थे। इसके बाद इन आवेदनों को भी अनुमति दी गई है। इस मापदंड पर अनुमति दी गई थी कि वहां परियोजनाएं चल रही हैं। एमटीडीसी ने सीआरजेड जोन नियमों के उल्लंघन में अनुमति दी।
बाद में इस उपनगर के तत्कालीन पालक मंत्री, शहर के संरक्षक मंत्री, विधायक ने इस स्थान का दौरा किये। हालांकि जब अनुमति मिली तो शर्त थी कि प्रति एकड़ एक हजार पेड़ लगाए जाएं। लेकिन आज उस जगह पर पेड़ नहीं हैं। वहां जो पेड़ थे, वे नष्ट हो गए। अतुल भातखलकर ने पत्र दिखाया है कि कंदलवन क्षेत्र के अधिकारियों ने वहां पेड़ों की मौजूदगी की सूचना दी थी। तो फिर भी भरने की अनुमति क्यों दी गई? अतुल भातखलकर ने जांच की मांग की है कि सभी शर्तों का पालन क्यों नहीं किया गया।
​इस जगह से सटे राज्य सरकार के कलेक्टर की ऑफिस भी है। कोविड काल में जब शूटिंग रोकी गई तो साइट पर अस्थायी निर्माण की अनुमति दी गई। अनुमति सीआरजेड जोन शीट के आधार पर दी गई है जो सिर्फ गोवा के लिए लागू है। यह अनुमति छह महीने के लिए दी गई थी। लेकिन, डेढ़-दो साल बाद भी अस्थाई निर्माण अभी भी खड़ा है। अस्थायी निर्माण केवल 55 फीट है और 15 से 25 स्टूडियो खड़े हैं। इस निर्माण के आसपास पेवर ब्लॉक भी बिछाए गए हैं।

इस पूरी प्रक्रिया में लाखों रुपये और करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। इस स्टूडियो का किराया किसकी जेब में गया? यह किसका आशीर्वाद है इसको लेकर कई सवाल उठे हैं।

मिट्टी​ भरनी​ को दी गई अनुमति के पीछे की साजिश, अधिकारियों ने ​​भी​​ दौरा​ किया​, ​अब प्रश्न उठता है कि ​क्या शर्तों के मुताबिक ​वहा ​​ ​पेड़  ​लगाए गए ? इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने शिकायत की थी। अतुल भातखलकर ने मांग की है कि इस बात की जांच की जाए कि तब नोटिस क्यों नहीं लिया गया। कहा गया है कि इसी मांग को ध्यान में रखते हुए मामले की जांच कराई जाएगी।

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