​”…तो आइए दिखाते हैं मास्टरस्ट्रोक क्या होते हैं”, संजय राउत की ​भाजपा​​ को चेतावनी..​!

सांसद संजय राउत ने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बैठक में शामिल होने के लिए उद्धव ठाकरे को फोन किया था| उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में ठाकरे गुट की बैठक हुई| इसके बाद संजय राउत मीडिया से बात कर रहे थे|

​”…तो आइए दिखाते हैं मास्टरस्ट्रोक क्या होते हैं”, संजय राउत की ​भाजपा​​ को चेतावनी..​!

"...so let's show what are masterstrokes", Sanjay Raut's warning to BJP..!

बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक होगी| इस बैठक में शिवसेना (ठाकरे समूह) पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे शामिल होंगे| सांसद संजय राउत ने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बैठक में शामिल होने के लिए उद्धव ठाकरे को फोन किया था| उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में ठाकरे गुट की बैठक हुई| इसके बाद संजय राउत मीडिया से बात कर रहे थे|
क्या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना महाविकास अघाड़ी में रहेगी या विलय कर लेगी? इस सवाल पर संजय राउत ने कहा, ”शिवसेना के अगले कदम को लेकर कोई संदेह पैदा करने की जरूरत नहीं है| उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का भविष्य उज्ज्वल है, जिन्होंने हमारी पार्टी छोड़ी उन्हें अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए, 72 घंटे में महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं हुई हैं|’ कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना एकजुट थे और रहेंगे।”
“चाहे हमने अपनी पार्टी को तोड़ने की कितनी भी कोशिश की हो। हालांकि, कुछ विधायक और सांसद टूट सकते हैं, लेकिन, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का जनाधार बढ़ रहा है| भाजपा राजनीतिक भ्रष्टाचार के जरिये सरकार बनाने की कोशिश में जुट गयी है| इसे लोगों का समर्थन नहीं है| भाजपा इतिहास में दुनिया और देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी के रूप में जानी जाएगी,” संजय राउत ने आलोचना की।
“कुछ लोग अजीत पवार और एकनाथ शिंदे पर दोषारोपण करके बहादुरी महसूस कर रहे हैं। कुछ लोग मास्टरस्ट्रोक आदि कह रहे हैं| कल 2024 में जब केंद्रीय जांच एजेंसी हमारे हाथ में आएगी तो हम दिखा देंगे कि ऐसे क्या मास्टरस्ट्रोक होते हैं, जब आपके हाथ में एक जांच प्रणाली होती है, तो मास्टरस्ट्रोक मारना आसान हो जाता है, ”संजय राउत ने कहा।
अजित पवार के सत्ता में आने के बाद शिंदे गुट की ताकत घटी? इस सवाल पर संजय राउत ने कहा, ”उनकी ताकत पहले भी नहीं थी| गुलामों के पास कोई शक्ति नहीं होती| गुलाम तो गुलाम होता है| गुलाम को स्वाभिमान, अस्मिता का कोई एहसास नहीं होता। वे पैर रगड़ने वाले हैं। इस समूह का सफाया हो गया है|अजित पवार को तब लिया गया जब उनके पास इतना बड़ा बहुमत था| यह एक स्पष्ट संदेश भेजता है कि अब आपकी आवश्यकता नहीं है।”
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