बता दें कि इन अटकलों को खुद हा राज-उद्धव ठाकरे ने हवा दी है। जहां राज ठाकरे पहले ही कह चुके हैं कि अगर मराठी लोगों के हित में हो, तो एक साथ आना मुश्किल नहीं है। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि वह छोटे-मोटे मुद्दों को नजरअंदाज करने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ कोई काम न हो।
सामना में यह भी कहा गया कि जिन मुद्दों की बात राज कर रहे हैं, वे कभी जनता के सामने नहीं आए। जब शिवसेना की शुरुआत हुई थी, तब भी लक्ष्य मराठी लोगों के हक की लड़ाई था। आज भी वही है। ऐसे में विवाद कहां है?
लेख में आगे कहा गया कि राज ठाकरे ने पहले पीएम मोदी और अमित शाह को महाराष्ट्र में आने से रोकने की बात की थी, लेकिन बाद में अपने उस रुख पर कायम नहीं रह पाए। 2024 के चुनाव में एमएनएस ने पीएम मोदी को तीसरे कार्यकाल के लिए बिना शर्त समर्थन भी दे दिया।
इसके साथ ही शिवसेना ने संपादकीय में यह आरोप भी लगाया कि भाजपा का हिंदुत्व नकली और खोखला है और राज ठाकरे उसके जाल में फंस गए। साथ ही अंत में चेतावनी दी गई कि अगर जीवन भर आपसी झगड़ों में ही समय बर्बाद होता रहा, तो महाराष्ट्र कभी माफ नहीं करेगा।



