कर्नाटक द्वारा महाराष्ट्र के 40 गांवों पर दावा करने के बाद अब महाराष्ट्र ने कर्नाटक को करारा जवाब देने का फैसला किया है। महाराष्ट्र राज्य अब सीमा क्षेत्र में बेलगाम सहित 865 गांवों में संस्थानों और संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री चैरिटेबल डोनेशन फंड के माध्यम से इस क्षेत्र के 865 गांवों में सामाजिक, शैक्षिक, धर्मार्थ, सांस्कृतिक और अर्ध-सार्वजनिक संस्थानों और संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में सहयाद्री गेस्ट हाउस में हुई बैठक में सीमावर्ती क्षेत्र के मराठी भाइयों और संगठनों को महाराष्ट्र से आर्थिक मदद देने के निर्देश दिए थे| इसके बाद इस संबंध में एक सरकारी निर्णय गुरुवार को जारी किया गया है। मुख्यमंत्री चैरिटेबल डोनेशन फंड मुख्यमंत्री के विवेक पर राज्य के विभिन्न संस्थानों और संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
सरकार के नए फैसले में इसमें संशोधन किया गया है और अब सीमावर्ती क्षेत्रों के 865 गांवों को भी इसमें शामिल किया गया है।अगले वर्ष 2023-24 के लिए मुख्यमंत्री चैरिटी फंड में 10 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि सांगली के जाट तालुका की 40 ग्राम पंचायतों ने कर्नाटक में शामिल होने का फैसला किया है और सरकार इन गांवों को कर्नाटक में शामिल करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके बाद उन्होंने एक बार फिर ट्वीट कर मराठी भाषियों और महाराष्ट्र को भ्रमित करने की कोशिश की।
उन्होंने मांग की कि कन्नड़-बहुल अक्कलकोट और सोलापुर को कर्नाटक में विलय कर दिया जाना चाहिए। साथ ही कर्नाटक की एक इंच जमीन भी किसी को देने का सवाल ही नहीं है बसवराज बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक अपनी जमीन, पानी और सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है|
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के इस नए बयान के बाद महाराष्ट्र के नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की है| उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने सीमावर्ती इलाकों के 865 गांवों की संस्थाओं और संस्थाओं को आर्थिक मदद देने का फैसला किया है|
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