28 C
Mumbai
Thursday, December 11, 2025
होमक्राईमनामामालेगांव ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, "बरी करने के फैसले के...

मालेगांव ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, “बरी करने के फैसले के खिलाफ हर कोई अपील नहीं कर सकता”

अपीलकर्ताओं का कहना है कि जांच एजेंसियों की खामियां किसी आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं।

Google News Follow

Related

2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 सितंबर)को महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने साफ किया कि किसी आरोपी को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार हर किसी को नहीं है। यह अधिकार केवल उन्हीं को है, जो ट्रायल में गवाह रहे हों या फिर सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष से जुड़े हों।

दरअसल, इस मामले में धमाके में मारे गए छह लोगों के परिजनों ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा दिए गए बरी करने के आदेश को चुनौती दी है। परिजन हाईकोर्ट पहुंचे और 31 जुलाई को दिए गए फैसले को कानून के खिलाफ बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की।

सुनवाई के दौरान अदालत ने विशेष रूप से निसार अहमद के मामले का जिक्र किया, जिनके बेटे की मौत धमाके में हुई थी। हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या निसार अहमद को ट्रायल में गवाह बनाया गया था। पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि ऐसा नहीं हुआ। इस पर अदालत ने कहा,“अगर बेटे की मौत हुई थी, तो पिता को गवाह होना चाहिए था।” कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुधवार (17 सितंबर) की अगली सुनवाई में इस संबंध में पूरी जानकारी पेश की जाए।

अपीलकर्ताओं का कहना है कि जांच एजेंसियों की खामियां किसी आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं। उनका दावा है कि धमाके की साजिश गुप्त तरीके से रची गई थी, ऐसे में प्रत्यक्ष सबूत मिलना संभव नहीं था।

परिजनों ने आरोप लगाया कि जब जांच एनआईए को सौंपी गई, तो एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों को कमजोर कर दिया। अपील में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन की कमियों को दूर करने की बजाय केवल “पोस्ट ऑफिस” की तरह काम किया, जिससे आरोपियों को फायदा मिला।

गौरतलब है कि 31 जुलाई को विशेष एनआईए कोर्ट ने इस मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे। अपीलकर्ताओं का यह भी तर्क है कि अदालत को केवल मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिए था। जरूरत पड़ने पर उसे सवाल पूछने और अतिरिक्त गवाह बुलाने का अधिकार इस्तेमाल करना चाहिए था।

अगली सुनवाई बुधवार को होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि पीड़ित परिवारों की अपील सुनवाई योग्य है या नहीं और ट्रायल में उनकी भूमिका कितनी अहम रही थी। 29 सितंबर 2008 की शाम को नासिक जिले के मालेगांव के भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था। उस समय रमजान चल रहा था और नवरात्रि आने ही वाली थी। इस धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे।

यह भी पढ़ें:

तेजस्वी यादव को अब नहीं मिलने वाला कोई अधिकार : संतोष सिंह! 

सुन्नी वक्फ बोर्ड करप्शन का अड्डा, भंग किया जाए:- मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी

अभिनेता आलोक नाथ को एमएलएम फ्रॉड केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत!

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,691फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें