पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार (11दिसंबर)को विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision — SIR) को लेकर एक बेहद विवादित बयान दिया। कृष्णानगर में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने महिलाओं से कहा कि अगर उनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएं, तो वे अपने किचन टूल्स लेकर तैयार रहें। बयान ने तुरंत राजनीतिक हलचल पैदा कर दी।
NDTV के अनुसार बनर्जी ने मंच से कहा, “आप माओं-बहनों के अधिकार छीनोगे? चुनाव में दिल्ली से पुलिस लाकर डराओगे? माएं-बहनें, अगर आपका नाम काट दिया जाए—क्या आपके पास औज़ार नहीं हैं? किचन में जो औज़ार होते हैं—आपके पास ताकत है। नाम हटाया तो आप ऐसे ही जाने दोगी?”
उन्होंने अपने कार्यकरताओं को कहा है कि चुनाव के वक्त महिलाएं सबसे आगे लड़ेंगी, जबकि पुरुष उनके पीछे खड़े रहेंगे।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा SIR प्रक्रिया का दुरुपयोग कर सकती है। उन्होंने कहा, “मैं देखना चाहती हूं कि बंगाल की महिलाएं ताकतवर हैं या BJP। चुनाव आते ही BJP पैसे और बाहरी लोगों का इस्तेमाल कर जनता को बांटती है। वे चुनाव BJP के IT सेल की बनाई लिस्ट पर कराना चाहते हैं।”
उन्होंने इसे लोकतंत्र के साथ छेड़छाड़ बताया। बनर्जी ने बंगाल के ऐतिहासिक स्वतंत्रता संघर्ष का हवाला देते हुए कहा कि यहां के लोगों ने देश के लिए बलिदान दिया है और उन्हें बार-बार अपनी नागरिकता साबित करने पर मजबूर नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री के किचन टूल्स वाले बयान ने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। विपक्ष का कहना है कि ममता बनर्जी महिलाओं को हिंसा के लिए उकसा रही हैं, जबकि TMC इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की अपील” बता रही है।
विशेषज्ञों का मानना है की मुख्यमंत्री ममता बॅनर्जी अपने वोट बँक को बचाना और चुनाव आयोग के सामन्य कार्यकर्ताओं को डर दिखाकर में मतदाता सूची प्रभावित करना चाहती है, जिससे स्थानिक बीएलओ वही करे जो टीएमसी के नेता चाहते है।
सवाल है की बांग्लादेश से आए घुसपैठियों की गहन जांच के जरिए ढूंढकर देश से बाहर फिकवाने के बजाए उन्हें मतदाता सूचि में संरक्षित करने के किसी राजनितिक पार्टी के प्रयास को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती माना जाए या नहीं ?
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