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Saturday, December 6, 2025
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उत्तराखंड विधानसभा से अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पास, मदरसा बोर्ड खत्म!

उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को विपक्षी दलों ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक के खिलाफ जमकर हंगामा किया। विपक्षी दल विधेयक को रोकने की कोशिश कर रहे थे।

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उत्तराखंड विधानसभा में अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पास हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम-2025 को मंजूरी दी गई। सरकार ने बुधवार को इस विधेयक को विधानसभा में रखा। भारी हंगामे के बीच विधानसभा ने विधेयक को किया है।

उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को विपक्षी दलों ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक के खिलाफ जमकर हंगामा किया। विपक्षी दल विधेयक को रोकने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, हंगामे के बीच सरकार विधेयक को सदन से पास कराने में सफल रही।

विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने सदन में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान विधेयक से धारा 14 (ठ) को हटाने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को भी स्वीकार करते हुए धारा 14 (ठ) को विधेयक से बाहर किया गया है।

राज्य में अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए मिलता था, लेकिन इस नए विधेयक के तहत सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों को भी यह सुविधा मिलेगी। 1 जुलाई 2026 से मदरसा बोर्ड भंग कर उसकी जगह उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन होगा।

राज्य के 452 मदरसों सहित सभी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को अब नए प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी। सरकार के अनुसार, यह व्यवस्था शिक्षा की गुणवत्ता, पारदर्शिता और संस्थागत अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करेगी। मान्यता के लिए संस्थानों का एक्ट में पंजीकरण और संपत्ति उनके नाम पर होना जरूरी होगा।

हालांकि, उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने उत्तराखंड सरकार के फैसले पर विरोध जताया है। मुरादाबाद के मौलाना दानिश कादरी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “अगर कोई मुस्लिम हिंदू धर्म अपना रहा है तो उसका फूलों से स्वागत होता है, मान-सम्मान होता है।

उसी तरह अगर कोई गैर-मुस्लिम इस्लाम धर्म अपनाता है तो उस पर भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर हिंदू या मुस्लिम जबरन किसी का धर्म बदलना चाहते हैं तो वह निश्चित ही गलत है। आप किसी का धर्म परिवर्तन जबरदस्ती नहीं करवा सकते। अगर ऐसा कानून बनाया जा रहा है तो उसमें दोनों ही पहलुओं पर गौर करना जरूरी है।”

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, “उत्तराखंड सरकार ने पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड का बिल जबरदस्ती विधानसभा से पास कराया, जबकि मुसलमान, सिख, जैन, अनुसूचित जनजाति और कबायली समाज जैसे कई तबकों ने इस पर सहमति नहीं जताई थी।

इसके बाद उन्होंने मदरसा एजुकेशन बोर्ड को खत्म करके एक नया अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान लाने का ऐलान किया। अब धर्मांतरण पर भी नया कानून लाना चाहते हैं। वह हिंदुत्ववादी नजरिए की एक लिस्ट तैयार कर रहे हैं। इन बिलों के लाने से मसले का हल नहीं होगा। मसला तब हल होगा जब सभी के साथ इंसाफ किया जाएगा।”
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