उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को विपक्षी दलों ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक के खिलाफ जमकर हंगामा किया। विपक्षी दल विधेयक को रोकने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, हंगामे के बीच सरकार विधेयक को सदन से पास कराने में सफल रही।
विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने सदन में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान विधेयक से धारा 14 (ठ) को हटाने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को भी स्वीकार करते हुए धारा 14 (ठ) को विधेयक से बाहर किया गया है।
राज्य में अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए मिलता था, लेकिन इस नए विधेयक के तहत सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों को भी यह सुविधा मिलेगी। 1 जुलाई 2026 से मदरसा बोर्ड भंग कर उसकी जगह उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन होगा।
हालांकि, उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने उत्तराखंड सरकार के फैसले पर विरोध जताया है। मुरादाबाद के मौलाना दानिश कादरी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “अगर कोई मुस्लिम हिंदू धर्म अपना रहा है तो उसका फूलों से स्वागत होता है, मान-सम्मान होता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, “उत्तराखंड सरकार ने पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड का बिल जबरदस्ती विधानसभा से पास कराया, जबकि मुसलमान, सिख, जैन, अनुसूचित जनजाति और कबायली समाज जैसे कई तबकों ने इस पर सहमति नहीं जताई थी।
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