मैं अब भी उद्धव ठाकरे ​को​ ​चाहता​​ हूं​, उन्हें दोष नहीं दूंगा​- ​बच्चू कडू

कडू ने कहा कि विकलांग, विकलांग भाई फोन करके कहते थे कि उनकी एक भी बैठक नहीं हुई। ये सब बातें चूभ रही थीं," बच्चू कडू ने तीखे शब्दों में कहा कि उद्धव ठाकरे को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि यह एक नया प्रशासन था। उन्होंने यह भी कहा कि मैं उन्हें दोष नहीं दूंगा।

मैं अब भी उद्धव ठाकरे ​को​ ​चाहता​​ हूं​, उन्हें दोष नहीं दूंगा​- ​बच्चू कडू

I still love Uddhav Thackeray, won't blame him - Bacchu Kadu

विधायक बच्चू कडू ने कहा है कि मुझे अभी भी उद्धव ठाकरे से​​ स्नेह​ और रूचि​​ ​है और आगे भी करता रहूंगा। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे उतने मजबूत और शालीन नहीं थे, जितने ‘मातोश्री’ में दिखते थे, बल्कि ‘वर्षा’ में दिखते थे। बच्चू कडू ने कई मुद्दों पर साफ-साफ कमेंट किया​ और शिंदे समूह में शामिल होने के पीछे की वजह भी बताई।

मिडिया के पूछे सवाल का जबाव देते हुए बच्चू कडू ने कहा कि ‘मुझे अभी भी उद्धव ठाकरे से स्नेह और उनका सम्मान है और आगे भी करता रहूंगा। लेकिन यह सच है कि वह ‘वर्षा’ में जितने हैंडसम और दमदार थे, उतने नहीं थे। मैं इसे महसूस कर रहा था। मैं विकलांगता के दो या तीन मुद्दों के साथ गया लेकिन उनके संबंध में कोई बैठक नहीं हुई।
मैं उद्धव ठाकरे से तब मिला था जब वह मुख्यमंत्री थे, लेकिन सत्ता में रहने के बावजूद कुछ राजनीति, राज्य स्तर और निर्वाचन क्षेत्र के मामलों पर ठीक से काम नहीं किया गया है। कडू ने कहा कि विकलांग, विकलांग भाई फोन करके कहते थे कि उनकी एक भी बैठक नहीं हुई। ये सब बातें चूभ रही थीं,” बच्चू कडू ने तीखे शब्दों में कहा कि उद्धव ठाकरे को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि यह एक नया प्रशासन था। उन्होंने यह भी कहा कि मैं उन्हें दोष नहीं दूंगा।
मैं 20 से 25 साल से काम कर रहा हूं। हमारा बाप-दादा राजनीतिज्ञ नहीं है। धन, जाति और धर्म को कभी राजनीति में नहीं लाया गया। किसी पार्टी का समर्थन नहीं लिया। बच्चू कडू ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि हमने कुछ सिद्धांतों का पालन किया है, लेकिन राजनीति में रणनीति बनाते समय कुछ सिद्धांतों को अलग रखना पड़ता है, यह दुखद भी है, लेकिन अब व्यवस्था इतनी बदल गई है कि समुद्र में ताजा पानी फेंकने का कोई मतलब नहीं है|
”बच्चू कडू ने कहा कि लोगों का हम पर एक अलग दृष्टिकोण है। कई लोगों ने सोचा कि मुझे गुवाहाटी नहीं जाना चाहिए। मुझे कई लोगों व कार्यकर्ताओं के फोन आए| मैं मिलने और वापस आने का फैसला किया था। मैं यह कहकर वापस आना चाहता था कि मैं तुम्हारे साथ हूं। मैं वहाँ रुकना नहीं चाहता था,लेकिन वह समय ऐसा था कि जो आया था वह छोड़ना नहीं चाहता था। यह करना ही होगा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
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