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Sunday, December 28, 2025
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कनाडा में मोदी के स्वागत की तैयारी, ‘दोनों देशों की दोस्ती नई ऊँचाई पर पहुँचेगी’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार(15जून) सुबह तीन‑दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना हो गए। इस दौरान वे साइप्रस और क्रोएशिया के अलावा कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में होने वाले जी‑7 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। यात्रा से ठीक पहले कनाडा में बसे इंडो‑कनाडाई समुदाय में उत्साह चरम पर है; लोग मान रहे हैं कि इस दौरे से न केवल राजनीतिक रिश्ते सुधरेंगे बल्कि व्यापार, इमिग्रेशन और सांस्कृतिक आदान‑प्रदान को भी नई ऊर्जा मिलेगी।

हिंदू सोसायटी ऑफ कैलगरी के आचार्य धेनश शुक्ल मीडिया से कहा, “मैं भगवान को धन्यवाद देना चाहता हूं। दोनों देशों की दोस्ती बेहतर हो रही है। कनाडा के नए प्रधानमंत्री बहुत ही बुद्धिमान हैं। उनका मन स्नेह से भरा हुआ है और प्रधानमंत्री मोदी सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना के साथ काम करते हैं। पीएम मोदी जैसा नेतृत्व देश को आगे ले जाने का काम करता है। देश बदला है, देश ने विकास किया उस विकास से हमको भी लाभ मिला है।”

कैलगरी‑आधारित कारोबारी राकेश पुंज का मानना है कि उभरी हुई भारतीय अर्थव्यवस्था, कनाडा के लिए साझेदारी का स्वर्णिम मौका है। उनके शब्दों में, “भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था बन रहा है, इसी अर्थव्यवस्था की जरूरत कनाडा को है। पीएम मोदी ने भारत को एक अलग विजन के साथ आगे बढ़ाया है। अब भारत, पहले वाला भारत नहीं रहा। पीएम मोदी के नेतृत्व और उनके आने से कनाडा को अलग ऊर्जा मिलेगी। भारत ने बदलाव देखा है। अब विकास का वही बदलाव कनाडा को चाहिए।”

हिंदू सोसायटी ऑफ कैलगरी के अध्यक्ष राज वर्मा ने कहा, “बीते दिनों दोनों देशों के संबंध खराब हुए थे, लेकिन हमारे नए प्राइम मिनिस्टर ने कदम आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी को आमंत्रित किया है। भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। पीएम मोदी काफी बेहतर काम कर रहे हैं। अगर दोनों देशों के संबंध बेहतर हो रहे हैं, तो यह काफी अच्छी पहल है… नए सिरे से जो पहल की गई है, उसे आगे ले जाना चाहिए।”

इंडियन सोसायटी ऑफ कैलगरी के अध्यक्ष डॉ. देवेश ओबेरॉय ने कहा,”पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार चुनाव जीते हैं। वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत साख है। चौथी सबसे बड़ी इकॉनमी के तौर पर भारत विश्व को काफी कुछ दे सकता है।”उनके मुताबिक, कनाडा में रहने वाले प्रवासी सालों से चाहते हैं कि द्विपक्षीय रिश्ते लाल बहादुर शास्त्री के समय जैसी मित्रता पर लौटें; जी‑7 का निमंत्रण इस दिशा में अहम संकेत है।

अल्बर्टा की युवती ग्रिसमा पटेल कहती हैं,”अगर भारत और कनाडा के संबंध बेहतर हो रहे हैं, तो इससे कनाडा में रहने वाले भारतीय लोगों के लिए अच्छा होगा। इमिग्रेशन जैसी समस्या में सुधार आएगा… मैं खुद एक किसान परिवार से आती हूं। मैंने खुद देखा है कि मोदी सरकार कैसा काम कर रही है।”

सरकारी बयान के अनुसार, मोदी 14‑16 जून को साइप्रस, 16‑17 जून को कनानास्किस (कनाडा) और 18 जून को क्रोएशिया जाएंगे। कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के आमंत्रण पर वे जी‑7 मंच पर बहुपक्षीय व्यापार, जलवायु वित्त और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर भारत की आवाज़ उठाएंगे।

ओटावा‑नई दिल्ली संबंधों में हालिया ठंडापन ‘सिख चरमपंथ’ और वीज़ा विवाद से उपजा था; अब दोनों सरकारें साझा आर्थिक हितों और सामरिक माहौल का लाभ उठाने को तत्पर दिख रही हैं। प्रवासी भारतीयों को भरोसा है कि यह दौरा इंडो‑कनाडियन सहयोग का नया अध्याय लिखेगा—जहाँ व्यापार के साथ‑साथ युवाओं के लिए शिक्षा और रोज़गार के नए द्वार भी खुलेंगे।

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