कांग्रेस नेता और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को शुक्रवार (31 अक्तूबर)को तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी की कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस दौरान मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
अजहरुद्दीन के शामिल होने के बाद तेलंगाना मंत्रिमंडल में मंत्रियों की कुल संख्या अब 16 हो गई है, जबकि विधानसभा के अनुपात के अनुसार राज्य में अधिकतम 18 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजहरुद्दीन की एंट्री कांग्रेस की रणनीतिक चाल है, क्योंकि पार्टी को आने वाले जुबली हिल्स उपचुनाव में कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है। यह सीट जून 2025 में बीआरएस विधायक मगोन्ती गोपीनाथ की दिल का दौरा पड़ने से हुई मृत्यु के बाद खाली हुई थी। इस क्षेत्र में एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जो चुनाव के नतीजे को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
#WATCH | Hyderabad, Telangana: Congress leader and former Cricketer Mohammad Azharuddin takes oath as Minister at Raj Bhavan. Governor Jishnu Dev Verma administers the oath to him.
(Video Source: I&PR Telangana) pic.twitter.com/oGRIydcCVe
— ANI (@ANI) October 31, 2025
शपथ ग्रहण के बाद अजहरुद्दीन ने अपने मंत्रालय को लेकर कहा,“मैं खुश हूं। मैं पार्टी हाईकमान, जनता और अपने समर्थकों का आभार व्यक्त करता हूं। मंत्री बनना और जुबली उपचुनाव ये दो अलग-अलग बातें हैं, इन्हें जोड़ना गलत है।” उन्होंने आगे कहा,“मुझे जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, मैं ईमानदारी से कमजोर और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए काम करूंगा। जी. किशन रेड्डी कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन मुझे किसी से देशभक्ति का प्रमाण पत्र नहीं चाहिए।”
अजहरुद्दीन की नियुक्ति पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने इसे राजनीतिक तुष्टिकरण करार दिया और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने यह कदम अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने के लिए उठाया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि अजहरुद्दीन को मंत्री बनाना योग्यता के बजाय चुनावी मजबूरी का इनाम है और यह कदम जुबली हिल्स उपचुनाव से पहले कांग्रेस की मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी ने कहा कि यह नियुक्ति कांग्रेस की अवसरवादी राजनीति को उजागर करती है और इससे साफ है कि पार्टी प्रशासन से ज्यादा मतों की राजनीति पर ध्यान दे रही है।
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