मनी लॉन्ड्रिंग की आरोपी आईएएस पूजा सिंघल को झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने बुधवार (22 जनवरी) को प्रतिष्ठित नौकरी में वापस लिया गया। आलोचकों ने भ्रष्टाचार की आरोपी आईएएस पूजा सिंघल की गिरफ़्तारी से लेकर सार्वजनिक सेवा में फिर से बहाल होने तक का घटनाक्रम को शर्मसार करने वाला कहा गया है।
बता दें की पिछले वर्ष के 7 दिसंबर विशेष अदालत से पूजा सिंघल को जमानत दी गई थी। मामले की दो तिहाई सजा को हिरासत में रहने का दावा करते हुए पूजा सिंघल को अधिवक्तओं ने जमानत दिलवाई थी। सिंघल को ग्रामीण रोजगार के लिए केंद्र की प्रमुख योजना मनरेगा के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार करने के आरोपों पर प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। अब पूजा सिंघल कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग में काम करेंगी।
प्रवर्तन निर्देशालय के अनुसार उन्होंने आईएएस पूजा सिंघल और उसके सहयोगियों से जुड़े परिसरों से 19.76 करोड़ रुपये की शुरुआती जब्ती के बाद दो अलग-अलग जांचों के दौरान अवैध खनन घोटालों से जुड़े 36.58 करोड़ रुपये से अधिक नकद जब्त की थी। जांच एजेंसी ने अवैध खनन से अर्जित 100 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का भी पता लगाया। मई 2023 में ईडी ने कहा कि उन्होंने पूजा सिंघल की 82.77 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां जब्त की हैं।
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झारखंड सरकार द्वारा पूजा सिंघल के गंभीर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बावजूद निलंबन को रद्द करना और उन्हें फिर से पद पर बहाल करना चिंताजनक है। झारखंड सरकार से दागी अधिकारियों को मौके देना भ्रष्टाचार को सन्मानित करने के बराबर है। आलोचकों ने आईएएस पूजा खेड़कर, पूजा सिंघल, और जज रितु कौशिक जैसे लोगों पर कारवाई से बचते प्रशासन की मजबूरियों पर सवाल उठाना शुरू किया है।