मैनपुरी में मुलायम की नई वारिस बनी बहू डिंपल यादव

जातीय समीकरण के चलते यादवों का गढ़ बना मैनपुरी सीट।

मैनपुरी में मुलायम की नई वारिस बनी बहू डिंपल यादव

उत्तर प्रदेश में एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके है। जहां समाजवादी पार्टी अपनी मैनपुरी लोकसभा सीट को बचाने में कामयाब रही। मुलायम के विरासत की वारिस अब उनकी बहू डिंपल यादव हो गई है। बता दें की शुरुवाती रुझानों से ही समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव लगातार आगे चल रही थी। मैनपुरी की सीट को नेताजी मुलायम सिंह यादव की विरासत के तौर पर सपा ने लड़ा था। मैनपुरी सीट को यादव परिवार का गढ़ कहा जाता है। जिसमें सपा लगातार ऐतिहासिक जीत हासिल करने का दावा कर रही थी। बता दें कि यह सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई थी।  

सन 1996 के बाद से ही मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम परिवार का वर्चस्व कायम है। लेकिन इससे पहले मैनपुरी सीट काफी उथल पुथल करनेवाली सीट रही है। आजादी के बाद 1952 में इस सीट पर पहली बार काँग्रेस ने जीत हासिल की थी। लेकिन दूसरे ही लोकसभा चुनाव में काँग्रेस को यहाँ हार का सामना करना पड़ा था। और प्रजा सोशललिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बंसी दास धनगर पर यहाँ की जनता ने भरोसा जताया था। लेकिन इसके बाद फिर से काँग्रेस ने अपनी जीत यहाँ हासिल की। और 1971 तक लगातार यहाँ अपनी सत्ता बनाएं रखा। 1977 में आपातकाल के बाद आम जनता में काँग्रेस को लेकर आक्रोश था। इस कारण काँग्रेस को फिर से ये सीट गवानी पड़ी थी। इसके बाद ये सीट जनता पार्टी के पास आई लेकिन जनता पार्टी ये जीत ज्यादा समय तक बरकरार नहीं रख पाई। लिहाज अगले ही साल फिर से उपचुनाव हुए और काँग्रेस पार्टी ने पुनः वापसी की।  

2 साल बाद ही 1980 के चुनाव में मैनपुरी की जनता ने एक बार फिर काँग्रेस को नकार दिया। 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट से जीत दर्ज करनेवाले रघुनाथ सिंह वर्मा ने 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर चुनाव लड़ा, और जीत हासिल की। 1984 में फिर से काँग्रेस ने मैनपुरी सीट पर जीत हासिल की। लेकिन काँग्रेस के लिए इस सीट पर जीत का आखिरी मौका था। क्योंकि इसके बाद कभी दोबारा काँग्रेस मैनपुरी सीट नहीं जीत पाई। मैनपुरी सीट पर सपा के लगातार कायम होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह यहाँ का जातीय समीकरण भी माना जाता है। 17 लाख से ज्यादा मतदाता वाली मैनपुरी सीट पर 35 फीसदी यादव है। और इसके बाद शाक्य और राजपूत की हैं। फिर ब्राह्मण, लोदी, दलित और मुस्लिम मतदाता हैं।  

वहीं मुलायम परिवार को जीत दिलाने में यादव और शाक्य लोगों का बड़ा हाथ हैं। इन्हें सपा का पारंपरिक मतदाता भी माना जाता है। अगर पिछले आकड़ों पर नजर डाले तो मैनपुरी सीट पर सपा को करीब 60 से 62 फीसदी तक वोट मिले थे। वहीं जातीय समीकरणों के कारण सपा के आगे अन्य कोई भी पार्टी टिक ही नहीं पाई। समय के अनुसार मुलायम परिवार का दबदबा अब भी यहाँ कायम हैं। और मैनपुरी का सीट यादव परिवार का गढ़ बन गया।  

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