वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में उठ रही आपत्तियों के बीच महाराष्ट्र के मालेगांव में बुधवार (9 अप्रैल )को एक अहम बैठक हुई। यह बैठक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मालेगांव की एक मस्जिद में आयोजित की गई, जिसमें मुस्लिम धर्मगुरुओं और मौलानाओं ने शिरकत की। बैठक का फोकस था—केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन कानून का विरोध और इसके संभावित खतरों पर चर्चा।
मौलाना उमरैन महफूज रहमानी, जो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव हैं, ने बैठक का नेतृत्व किया और स्पष्ट शब्दों में कहा, वक्फ संशोधन कानून से वक्फ की संपत्ति को खतरा है। लिहाजा हमारी सरकार से मांग है कि इसे वापस लिया जाए। हम इस तरह के कानून को मौजूदा समय में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए मौलाना ने इसे”मनमानी” करार देते हुए कहा, इस देश का मुसलमान किसी से डरता नहीं है। अगर हुकूमत को ऐसा लगता है कि मुसलमान डरता है, तो मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस देश का मुसलमान किसी से डरना नहीं जानता है।
मौलाना रहमानी ने भावनात्मक अपील में तब्दीली करते हुए कहा, मुसलमान वो कौम नहीं है, जो आपकी धमकियों से डर जाएगा। धमकी उसे दीजिए, जो डरना जानते हों। मुसलमान अपने आपको डर और खौफ से उठाकर अपना ऐतबार अल्लाह पर रखता है, इसलिए आप हमें नहीं डराएं। अगर आप हमें डराएंगे, तो मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आपकी गोलियां कम पड़ जाएंगी, लेकिन हमारे सीने कम नहीं पड़ेंगे। हम कुर्बानी देंगे और अपनी मंजिलों तक पहुंचेंगे।
हालांकि रहमानी ने यह भी माना कि मूल वक्फ कानून 1995 में लाया गया था और तब उसका स्वागत हुआ था। लेकिन अब किए गए संशोधनों पर उन्होंने तीखी आपत्ति जताई।अब जिस तरह से इसमें संशोधन किए गए हैं, हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। हम इसे वापस लिए जाने की मांग करते हैं।
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि मुस्लिम समुदाय को एकजुट होकर विरोध दर्ज कराना चाहिए। “हमारा यह लोकतांत्रिक अधिकार है कि जो चीजें हमें नुकसान पहुंचाएं, हम उसके खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाएं और हम मौजूदा समय में वही कर रहे हैं और करते रहेंगे, जब तक कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाता है।”
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मौलाना ने बैठक के निष्कर्ष साझा करते हुए कहा कि एक दिशा-निर्देश पूरे देश के मुसलमानों के लिए जारी किया गया है, जिसमें उन्हें इस कानून के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने को कहा गया है। हम आने वाले दिनों में इस कानून के विरोध में जगह-जगह कई छोटे-बड़े कार्यक्रम करेंगे और मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस कानून के विरोध में एकजुट करेंगे और उन्हें यह बताएंगे कि यह किस तरह से उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में कानूनी विकल्पों का सहारा लिया जाएगा,”हम अदालतों का दरवाजा खटखटाएंगे। लेकिन, हमारे पास कई दूसरे विकल्प भी हैं, जिनका इस्तेमाल भी हम आगे आने वाले दिनों में करेंगे।”



