जम्मू कश्मीर विधानसभा में वक़्फ़ बिल पर स्थगन प्रस्ताव लाना चाहती है नॅशनल कॉन्फरेंस !

विपक्ष के नेता बोले—राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद बहस का अधिकार नहीं, NC नासमझी दिखा रही है!

जम्मू कश्मीर विधानसभा में वक़्फ़ बिल पर स्थगन प्रस्ताव लाना चाहती है नॅशनल कॉन्फरेंस !

National Conference wants to bring an adjournment motion on the Waqf Bill in Jammu Kashmir Assembly!

वक्फ संशोधन बिल को लेकर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि वक्फ कानून के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव लाना “एक असंवैधानिक कदम” है और इसका कोई औचित्य नहीं बनता, क्योंकि यह विधेयक अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून का रूप ले चुका है।

सुनील शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “जिस विधेयक को संसद ने पारित किया और राष्ट्रपति ने अनुमोदित कर दिया, उस पर राज्य विधानसभा में बहस या चर्चा करना संवैधानिक दायरे से बाहर है। यह अब न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। ऐसी स्थिति में NC द्वारा स्थगन प्रस्ताव लाना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह उनकी नासमझी को दर्शाता है।”

उन्होंने NC को सरकार में रहते हुए ज़िम्मेदारी से काम करने की सलाह दी और कहा कि इस तरह के प्रस्ताव न केवल संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन हैं, बल्कि इससे भ्रम फैलता है। “यह कदम राजनीतिक स्टंटबाज़ी से ज्यादा कुछ नहीं है,” शर्मा ने जोड़ा।

इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे को लेकर भी सुनील शर्मा ने अहम बयान दिया। उन्होंने कहा, “गृह मंत्री नियमित रूप से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हैं। इस बार यह दौरा और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान की ओर से नई रणनीति के तहत सीमावर्ती और पहाड़ी इलाकों में अशांति फैलाने की कोशिश की जा रही है।”

उन्होंने बताया कि गृह मंत्री इस दौरान विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं और कठुआ सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जाकर जमीनी स्थिति का जायजा लेंगे। “वो उन शहीदों के परिवारों से भी मिलेंगे जो हाल के आतंकवादी हमलों में बलिदान हुए हैं,” शर्मा ने बताया।

गौरतलब है कि अमित शाह सोमवार को भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अग्रिम चौकियों का दौरा करेंगे और वहां की सुरक्षा व्यवस्था एवं विकास परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे। इसके बाद वह श्रीनगर के लिए रवाना होंगे।

इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन कानून अब न केवल संवैधानिक दायरे में स्थापित है, बल्कि इसके खिलाफ राजनीतिक विरोध जताने के तरीके भी अब सवालों के घेरे में हैं। भाजपा की ओर से इसे “राजनीतिक अवसरवाद” करार दिया जा रहा है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस इसे “धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप” बता रही है—और यह टकराव आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है।

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